Vrishchik Rashifal: वृश्चिक राशि में केतु का गोचर आरंभ होने जा रहा है. केतु 23 सितंबर 2020 को धनु राशि से वृश्चिक राशि में आ जाएगा. केतु का यह परिवर्तन सभी राशियों को प्रभावित करने वाला है. लेकिन वृश्चिक राशि में आने के कारण केतु का यह गोचर वृश्चिक राशि के जातकों के लिए विशेष है.


ज्योतिष शास्त्र में केतु को एक पाप ग्रह का दर्जा प्राप्त है. केतु का सिर नहीं है. इसका सिर्फ धड़ है. यानि केतु में अपना दिमाग नहीं है. एक पौराणिक कथा के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण कर देवताओं को अमृत पान कराना आरंभ कर दिया.लेकिन देवताओं के बीच स्वर्भानु नाम का एक दैत्य भी छिप कर बैठ गया, लेकिन सूर्य और चंद्रमा ने उसे पहचान लिया और भगवान विष्णु को इसकी जानकारी दे दी. भगवान विष्णु ने तुरंत सुदर्शन चक्र से इस दैत्य की गर्दन काट दी. जिस कारण उसका सिर और धड़ अलग हो गया. अमृत की कुछ बूंदे पी लेने के कारण स्वर्भानु की मृत्यु नहीं हो सकी और उसका सिर राहु और धड़ केतु बन गया है.


केतु व्यक्ति की संगत को खराब कर देता है
केतु को ज्योतिष शास्त्र में साहसी और मायवी ग्रह भी कहा गया है. केतु जब अशुभ फल देता है तो व्यक्ति अहंकारी बन जाता है, उसकी वाणी खराब कर देता है. केतु व्यक्ति में बुरी आदतों का प्रवेश कर देता है और उसकी संगत को बिगाड़ देता है. ऐसा व्यक्ति नशा आदि करने लगता है और गलत कामों में लिप्त हो जाता है.


केतु के शुभ फल
केतु जब जन्म कुंडली में शुभ स्थिति में होता है तो व्यक्ति को बहुत ही अच्छे फल प्रदान करता है. केतु व्यक्ति की बुद्धि को तेज करता है. ऐसा व्यक्ति खोजी प्रवृत्ति का होता है और नित नई चीजों की खोज में जुटा रहता है. ऐसे लोग सफल रणनीतिकार होते हैं. धर्म और अध्यात्म में भी केतु रूचि पैदा करता है वहीं वैराग्य की भावना भी जागृत करता है.


वृश्चिक राशि में केतु के गोचर का फल
केतु का गोचर वृश्चिक राशि के जातकों को अहंकारी बना सकता है. वाणी की विनम्रता को नष्ट कर सकता है जिस कारण वृश्चिक राशि वालों को नुकसान उठाना पड़ सकता है. इस दौरान मान सम्मान में वृद्धि हो सकती है. अचानक लाभ की स्थिति बनेगी.


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