Republic Day 2023: हर साल 26 जनवरी को भारत के गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता. 26 जनवरी 1950 को भारत सरकार अधिनियम (1935) के तहत देश का संविधान लागू हुआ था. इस साल देशवासी 74 वां गणतंत्र दिवस मनाएंगे. भारत सबसे मजबूत गणतांत्रिक देशों में एक है.


लेकिन क्या आप जानते हैं कि गण के तंत्र यानी कि लोकतांत्रिक व्यवस्था का उदय कहां हुआ और प्राचीन भारत में सबसे पहला गणराज्य कहां है. ‘गणतंत्र’ को लेकर केवल ऐतिहासिक तथ्य ही नहीं बल्कि वैदिक काल, प्राचीन विद्यावानों, महाभारत और बुद्ध व जैन ग्रंथों में भी गणतंत्रों के परिणाम मिलते हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि प्राचीन भारत में गणराज्यों की एक निश्चित अवधारणा थी, जोकि किसी भी तरह से यूनान और रोम के समकालिनों से कम नहीं थी.


क्या होता है गणराज्य


प्राचीन भारत में गणराज्य निश्चित रूप से थे और उनके लिए गण या संघ शब्द का उल्लेख भी मिलता है. इसका तात्पर्य ऐसे समुदाय से है जोकि विधि द्वारा नियंत्रित हों. गण शब्द का अर्थ गिनती या गणना करने से है. इस तरह से गणराज्य का अर्थ ऐसे राज्य से है जोकि एक से अधिक व्यक्तियों द्वारा शासित हो.


धर्म, ग्रंथ और धार्मिक विद्यावानों के अनुसार गणराज्य



  • संस्कृत भाषा के सबसे बड़े विद्वान और श्रेष्ठ व्याकरणाचार्य महर्षि पाणिनी संघ की व्याख्या करते हुए कहते हैं कि संघ केवल राजनीति प्रकार ही नहीं बल्कि एक ऐसा शब्द है जोकि कई उद्देश्यों के लिए होता है. पाणिनी के अनुसार संघों में वह धार्मिक संघों का उदाहरण है जो बंधुत्व के सिद्धांत पर कार्य करते हैं. पाणिनी अपनी अष्टाध्यायी में संघों का उल्लेख करते हैं और उन्हें आयुधजीवी कहते हैं.

  • बौद्ध ग्रंथ महावग्ग के अनुसार, गण को एक से अधिक लोगों के शासन के रूप में परिभाषित किया गया है. बौद्ध भिक्षु के मतानुसार, मत को जानने के लिए गणों द्वारा उपयोग की जाने वी शलाका पद्धति के प्रयोग का समर्थन करता है.

  • महाभारत के शांतिपर्व के 107वें अध्याय में ‘गण’ शब्द का प्रयोग राजनीतिक रूप में किया गया है. इसमें युधिष्ठिर और भीष्म के मध्य संवाद में गणों की विशेषता को बताते हुए कहा गया है कि गण का अर्थ न सिर्फ शासन संस्थाओं बल्कि संपूर्ण राजनीतिक राज्य, समूह और संसद से है.

  • ऋग्वेद में कई स्थानों पर गण शब्द का उल्लेख मिलता. इसमें ‘देवताओं के गणों’ का उल्लेख है. इंद्र, मरुत, बृहस्पति को गणपति कहा गया है.


दुनिया का प्राचीनतम और पहला गणराज्य


प्राचीन भारत का सबसे पहला गणराज्य बिहार प्रांत के वैशाली में था. इसे वैशाली गणराज्य के नाम से भी जाना जाता था. वैशाली नगर वज्जि महाजनपद की राजधानी थी. यह क्षेत्र अपने गणतांत्रिक मूल्यों और प्रभावों के कारण जाना जाता था. वैशाली में गणतंत्र या गणराज्य की स्थापना लिच्छवियों द्वारा की गई थी. इनका संबंध एक हिमालय ट्राइव लिच्छ से था.


वैशाली में गणराज्य को स्थापित करने का यह उद्देश्य था कि, बाहरी आक्रमणकारियों से बचा जा सके और यदि बाहरी आक्रमण हो तो गणराज्य को जनता का पूर्ण समर्थन मिले. ऐतिहासिक प्रमाणों के अनुसार, वैशाली में ही दुनिया का पहला गणतंत्र यानी गणराज्य स्थापित हुआ. उस समय यहां छोटी-छोटी समितियां होती थीं, जोकि गणराज्य के अंतर्गत आने वाली जनता के लिए नीति-नियम बनाते थे.


वैशाली तब और अब



  • वैशाली के तब और अब की रूपरेखा पर बात करें तो, लगभग छठी शताब्दी ईसा पूर्व में वैशाली में शासक जनता के प्रतिनिधियों द्वारा चुने जाते थे और इस तरह से यहां गणतंत्र की स्थापना हुई.

  • प्राचीन वैशाली अति समृद्ध और सुरक्षित नगर था. यह एक-दूसरे से कुछ अंतर पर बनी तीन दीवारों से घिरा था. इसका उल्लेख प्राचीन ग्रन्थों में भी मिलता है.

  • चीनी यात्री ह्वेनसांग के अनुसार पूरे नगर का घेरा 14 मील के लगभग था.

  • वैशाली बिहार के वैशाली जिला में स्थित एक गांव है. यह भगवान महावीर का जन्म स्थान भी है. इसलिए जैन धर्म को मानने वालों के लिए वैशाली एक पवित्र स्थल है.

  • भगवान बुद्ध तीन बार वैशाली आए थे और ये उनकी कार्यभूमि थी. वैशाली पौराणिक हिन्दू तीर्थ और पाटलीपुत्र जैसे ऐतिहासिक स्थलों के निकट है.

  • मौजूदा समय में वैशाली पर्यटकों के लिए एक लोकप्रिय और धार्मिक स्थल है. वैशाली में न सिर्फ भारत बल्कि दूसरे देशों के भी कई मंदिर बने हैं.


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