Safala Ekadashi Niyam: सभी एकादशी में सफला एकादशी का विशेष महत्व होता है. पौष माह की कृष्ण पक्ष की एकादशी को सफला एकादशी कहा जाता है. सफला का अर्थ सफलता होता है. ऐसी मान्यता है कि इस एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति के सारे कार्य सफल होते हैं. इसलिए इसे सफला एकादशी कहा जाता है. इस दिन भगवान अच्यूत और भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. साल की आखिरी सफला एकादशी 19 दिसंबर को मनाई जाएगी. आइए जानते हैं. इसकी पूजन विधि और महत्व.
सफला एकादशी की पूजा विधि
सफला एकादशी का व्रत रखने वाले भक्तों को इस दिन प्रातःकाल स्नान के बाद व्रत का संकल्प लेना चाहिए. इसके बाद भगवान को धूप, दीप, फल और पंचामृत अर्पित करें. भगवान विष्णु और अच्युत की नारियल, सुपारी, आंवला और लौंग आदि से पूजा करें. इस दिन रात्रि में जागरण कर श्री हरि के नाम के भजन करने का बहुत महत्व होता है. व्रत के अगले दिन द्वादशी पर किसी जरुरतमंद व्यक्ति या ब्राह्मण को भोजन कराकर और दान-दक्षिणा देकर विदा करें और इसके बाद व्रत का पारण करें.
सफला एकदशी का महत्व
पुराणों में सफला एकदशी का विशेष महत्व बताया गया है. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार सफला एकादशी का व्रत रखने से एक हजार अश्वमेघ यज्ञों के बराबर लाभ मिलता है. इन ग्रंथों में सफला एकदशी एक ऐसे दिन के रूप में वर्णित है जिस दिन व्रत रखने से सारे दुःख समाप्त होते हैं और भाग्य खुल जाता है. इस एकदशी का व्रत रखने से व्यक्ति की सारी इच्छाएं पूरी होती हैं.
सफला एकादशी के दिन ना करें ये काम
सफवा एकादशी के दिन बिस्तर पर नहीं बल्कि जमीन पर सोना चाहिए. इस दिन भूलकर भी मांस, नशीली चीज, लहसुन और प्याज का सेवन ना करें. सफला एकादशी की सुबह दातुन करना भी वर्जित माना गया है. इस दिन किसी पेड़ या पौधे की की फूल-पत्ती तोड़ना भी अशुभ माना जाता है. शास्त्रों के अनुसार एकादशी व्रत के दिन नाखून, दाढ़ी और बाल काटना भी अशुभ माना जाता है.
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