Sankashti Chaturthi Shubh Muhurt: 6 जुलाई यानी आज सावन मास की संकष्टी चतुर्थी है. संकष्टी चतुर्थी का मतलब होता है संकट को हरने वाली चतुर्थी. इस दिन पूरे विधि- विधान से गणपति की पूजा-अर्चना की जाती है. इस दिन गौरी पुत्र गणेश की पूजा करना बहुत फलदायी होता है. इस दिन लोग सूर्योदय के समय से लेकर चन्द्रमा उदय होने के समय तक उपवास रखते हैं. 


संकष्टी चतुर्थी का दिन गणेश भगवान को प्रसन्न करने के लिए बहुत उत्तम माना जाता है. इस दिन व्रत करने और गणपति की आराधना करना बहुत शुभ होता है. संकष्टी चतुर्थी के दिन चंद्रमा को अर्घ्य देने का बाद ही व्रत खोला जाता है.


सावन संकष्टी चतुर्थी 2023 मुहूर्त


सावन कृष्ण चतुर्थी तिथि का प्रारंभ: आज, गुरुवार, सुबह 06 बजकर 30 मिनट से
सावन कृष्ण चतुर्थी तिथि का समापन: कल, शुक्रवार, सुबह 03 बजकर 12 मिनट पर



संकष्टी चतुर्थी पूजा मुहूर्त: सुबह 05 बजकर 26 मिनट से सुबह 10 बजकर 40 मिनट तक
चंद्रमा को अर्घ्य देने का शुभ मुहूर्च: रात में 10 बजकर 12 मिनट पर


संकष्टी चतुर्थी की पूजा विधि


आज स्नान करने के बाद संकष्टी चतुर्थी के व्रत और गणेश पूजा का संकल्प करें. उसके बाद शुभ मुहूर्त में एक चौकी पर पीला या ला वस्त्र बिछाकर गणेश मूर्ति की स्थापना करें. अब गणपति का अभिषेक करें. उनको वस्त्र, जनेऊ, चंदन, फूल, माला चढ़ाएं. अक्षत्, सिंदूर, पान, सुपारी, दूर्वा, हल्दी, धूप, दीप, फल और फूल से गणपति बप्पा की पूजा करें


गणेश जी को मोदक या लड्डू का भोग लगाएं. इसके साथ ही'ओम गं गणपतये नमो नम: मंत्र' का जाप करें. अब गणेश चालीसा और संकष्टी चतुर्थी व्रत का पाठ करें. उसके बाद गणेश जी की विधिवत आरती उतारें. रात के समय में चंद्र देव की पूजा करें. शुभ मुहूर्त में उन्हें दूध और जल में अक्षत् और सफेद फूल डालकर अर्घ्य दें. चंद्रमा पूजा करने से संकष्टी चतुर्थी व्रत फलित होता है.



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