Sankashti Chaturthi Date: सनातन धर्म में संकष्टी चतुर्थी का विशेष महत्व होता है. किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है. सभी देवी-देवतों में गणेश जी को प्रथम पूजनीय माना जाता है. उन्हें बुद्धि, बल और विवेक का देवता माना जाता है. बप्पा अपने भक्तों की सभी परेशानियों और विघ्नों को हर लेते हैं इसीलिए उन्हें विघ्नहर्ता भी कहा जाता है.
भगवान गणेश के लिए किए जाने वाला संकष्टी चतुर्थी व्रत काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. संकष्टी चतुर्थी का मतलब होता है संकट को हरने वाली चतुर्थी. इस दिन लोग अपने दुखों से छुटकारा पाने के लिए गणपति की अराधना करता है. पुराणों के अनुसार चतुर्थी के दिन गौरी पुत्र गणेश की पूजा करना बहुत फलदायी होता है.
संकष्टी चतुर्थी 8 मई 2023 को यानी आज मनाई जाएगी. संकष्टी चतुर्थी के दिन सूर्योदय के समय से लेकर चन्द्रमा उदय होने के समय तक उपवास रख जाता है. इस दिन खास पूजन विधि से गणपति जल्द प्रसन्न होते हैं.
संकष्टी चतुर्थी की पूजन विधि
इस दिन उपवास रखकर गणेश भगवान को प्रसन्न करने का प्रयास किया जाता है. इस दिन आप प्रातः काल सूर्योदय से पहले उठ जाएं और स्नान कर साफ, धुले हुए कपड़े पहन लें. इस दिन लाल रंग के वस्त्र पहन कर पूजा करना बहुत शुभ माना जाता है. स्नान के बाद पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुंह करके गणपति की पूजा की शुरुआत करें. इसके लिए सबसे पहले आप गणपति की मूर्ति को फूलों से अच्छी तरह से सजा लें.
गणपति की पूजा में तिल, गुड़, लड्डू, तांबे के कलश में पानी, फूल धुप, चन्दन और प्रसाद के तौर पर केला या नारियल रखें. पूजा के समय देवी दुर्गा की प्रतिमा पास रखनाबेहद शुभ माना जाता है. अब गणपति को रोली लगाएं और उन्हें फूल और जल अर्पित करें. गणपति को तिल के लड्डू और मोदक का भोग लगाएं. गणपति के सामने धुप-दीप जला कर इस मन्त्र का जाप करें.
गजाननं भूत गणादि सेवितं, कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम्.
उमासुतं शोक विनाशकारकम्, नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम्.
शाम के समय चांद के निकलने से पहले आप गणपति की पूजा करें और संकष्टी व्रत कथा का पाठ करें. पूजा समाप्त होने के बाद सभी लोगों में प्रसाद बाटें. संकष्टी चतुर्थी का व्रत रात को चांद देखने के बाद खोला जाता है.
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