Pitru Paksha 2023: पितृ पक्ष में सर्व पितृ अमावस्या का विशेष महत्व होता है. यह श्राद्ध की सबसे अहम और आखिरी तिथि होती है. इस दिन उन सभी पूर्वजों का श्राद्ध किया जाता है जिनका निधन अमावस्या के दिन हुआ हो या फिर जिनकी मृत्यु की तिथि ज्ञात ना हो. पितृ पक्ष के दिनों में अगर आप अपने पितरों का श्राद्ध नहीं कर पाए हों तो पितृ दोष से बचने के लिए अमावस्या के दिन उनका भी श्राद्ध किया जा सकता है.
इस बार सर्वपितृ अमावस्या 14 अक्टूबर, शनिवार के दिन है. पितृ पक्ष की अमावस्या पर इस बार कई दुर्लभ संयोग बन रहे हैं. माना जाता है कि इन योगों में पितरों का श्राद्ध और तर्पण करने से वह कई सालों तक तृप्त रहते हैं.
सर्वपितृ अमावस्या का शुभ मुहूर्त
अमावस्या तिथि प्रारंभ: 13 अक्टूबर को 9 बजकर 51 मिनट से
अमावस्या तिथि समाप्त: 14 अक्टूबर, शनिवार की रात 11 बजकर 25 मिनट पर
सर्वपितृ अमावस्या पर दुर्लभ संयोग
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस साल 14 अक्टूबर को पितृ पक्ष की अमावस्या पड़ रही है. इसे मोक्षदायिनी अमावस्या भी कहते हैं. इस बार सर्वपितृ अमावस्या पर बहुत ही शुभ संयोग बन रहा है. इस बार अमावस्या के दिन शनिवार होने के चलते इसे शनिचरी अमावस्या भी कहा जाएगा. इस दिन साल का अंतिम सूर्य ग्रहण भी लगने जा रहा है. इस दिन शुभ इंद्र योग भी बन रहा है. सर्वपितृ अमावस्या अश्विन माह में पड़ने से इसका महत्व और बढ़ गया है. इन शुभ संयोगों में पितरों का तर्पण कर उन्हें प्रसन्न और तृप्त किया जा सकता है.
ऐसे करें पितरों को विदा
सर्वपितृ अमावस्या तिथि को ही पितृ पक्ष का समापन होता है. इस दिन प्रात: स्नान करने के बाद गायत्री मंत्र का जाप करते हुए सूर्यदेव को जल अर्पित करना चाहिए. पीपल में पितरों का वास माना जाता है. इसलिए इस दिन पीपल के पेड़ पर जल जरूर चढ़ाएं. इस दिन काले तिल के साथ पितरों को जल अर्पित करें, इससे घर में हमेशा पितरों का आशीर्वाद बना रहता है. दूध, तिल, कुशा, पुष्प, गंध मिश्रित जल से पितरों का तर्पण करें. माना जाता है कि जल का तर्पण करने से पितरों की प्यास बुझती है.
इन लोगों को जरूर कराएं भोजन
घर में श्राद्ध के लिए बनाए गए भोजन से पंचबलि अर्थात गाय, कुत्ते, कौए, देव एवं चीटिंयों के लिए भोजन का अंश निकालकर उन्हें देना चाहिए. श्रद्धापूर्वक पितरों से मंगल कामना करें. इस दिन ब्राह्मण या किसी गरीब जरूरतमंद को भोजन जरूर करवाएं और अपने सामर्थ्य अनुसार दान दक्षिणा देकर विदा करें. इस दिन बहन, दामाद और भांजा-भांजी को भी भोजन अवश्य कराएं. माना जाता है कि उनके भोजन के बिना पितर प्रसन्न नहीं होते हैं. इसके बाद अपने पूरे परिवार के साथ बैठकर भोजन करें. भोज के बाद पितरों को धन्यवाद देना चाहिए और जाने-अनजाने हुई भूल के लिए माफी मांगनी चाहिए.
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