Saturn Transit 2023 in Aquarius, Shani Gochar 2023: तपकारक शनि, किंग मेकर शनि, कंटक शनि, सर्वाधिक क्रूर-शक्तिशाली शनि और न्यायाधीश शनि 17 जनवरी 2023 को कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे तथा ये यहां पर 31 दिसम्बर 2023 तक यानी करीब 12 माह संचरण करेंगे.


कुंभ राशि में रहते हुए शनि 141 दिन, यानी 3 हजार 384 घंटे लगातार वक्री रहेंगे. इससे विश्व में अशांति, टकराहट, चुनौती, भयाक्रान्त की स्थितियां पैदा होगी. यहां तक कि शनि के प्रभाव से विश्व युद्ध की संभावनाएं सामने आ सकती हैं. यह योग सभी राशियों के अलावा भी कई परिवार, कईयों का वैवाहिक जीवन, भाग्य, व्यवसाय, लाभ-व्यय आदि को प्रभावित करेगा.


जानकारी के लिए बता दें कि वर्ष 2020 से वर्ष 2022 तक विश्वस्तरीय आपदा के वर्ष रहे हैं. साल  2015 में विक्रमी सम्वत के राजा शनि थे तो वर्ष 2022 में भी विक्रमी सम्वत के राजा शनि हैं.


यद्यपि साल 2023 में विक्रमी सम्वत के राजा बुध, मंत्री शुक्र क्यों न हो. इसके बावजूद शनि कुंभ राशि में वर्षान्त तक न शांत रहेंगे और नहीं सहज भाव रहेंगे. ये संकट, अशांति, जन-धन की क्षति, भारी उथल-पुथल, राजनीतिक अशांति कारक प्रभाव में वृद्धि करेंगे.


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सूर्य पुत्र हैं शनि 


सभी ग्रहों में सातवें ग्रह शनिदेव यदि किसी राशि में सर्वाधिक समय तक भ्रमण करें तो कई तरह की आशंकाएं होना स्वाभाविक है. करीब 7 वर्ष पूर्व ही जब वर्ष 2015 में 1 जनवरी से 31 दिसंबर तक शनि वृश्चिक राशि में तह इस दौरान वे 4 मार्च से 31 जुलाई के बीच वक्री भाव से थे. तब कई तरह के संकट, आपदाओं, आगजनी, विस्फोट आदि क्षति कारक घटनाओं की आशंकाएं व्यक्त की गई.


उस समय सौम्य नामक संवत्सर के आकाशीय ग्रहों के मंत्रीमंडल के राजा पद पर आसीन हुए शनि के प्रभाव के बारे में विख्यात भारत के अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के ज्योतिषी, भविष्यवक्ता सुरेश श्रीमाली ने जो कहा, जो बताया वह सब सच साबित हुआ था. उनके वार्षिक 2015 के भविष्यफल की पत्रिका में यह सब वर्णित है.


यह प्रत्यक्ष है कि पिछले तीन सालों 2020, 2021 और 2022 में वैश्विक स्तर पर आपदाओं, कोरोना जैसे संक्रामक रोगों, रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध तथा कई घटनाओं, जन-धन की क्षति, अमंगल कारक प्रभाव रहे हैं. वर्ष 2015 में तो शनिवार के दिन ही सभी प्रमुख पर्व जैसे बसंत पंचमी, भाईदूज, गुड़ी पड़वा, रामनवमी, हनुमान जयंती, वैशाख अमावस्या, रक्षाबंधन, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, श्राद्ध अमावस्या, सातुवाई छठ, ईद, मुहर्रम आदि आए. यहां खग्रास चन्द्र ग्रहण भी शनिवार के दिन पड़ा. अब वर्ष 2023 में शनि पूरे वर्ष, स्वराशि कुंभ में भ्रमण करेंगे तथा शनिवार 17 जून से शनिवार 4 नवम्बर तक कुंभ राशि में रहते ही वक्री भाव रहेंगे.


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साल 2023 के त्योहार शनिवार को हैं  


इस संदर्भ में उल्लेखनीय यह कि वर्ष 2023 के प्रारंभ में पहले ही माह 21 जनवरी शनिवार को तथा 14 अक्टूबर शनिवार को शनैश्चरी अमावस्या है. इस बार मकर संक्रांति पर्व भी 14 जनवरी शनिवार को है. महाशिवरात्रि व्रत-पर्व भी 18 फरवरी शनिवार, अक्षय तृतीया 22 अप्रैल शनिवार को है इसके अलावा 7 अक्टूबर-नवमी श्राद्ध, 28 अक्टूबर-शरद्पूर्णिमा, 16 दिसंबर-धनु संक्रांति सभी शनिवार के दिन है.


जन्म कुण्डली में शनि का स्थान


मकर तथा कुम्भ राशि के स्वामी शनि है. तुला राशि में 20 अंश पर शनि परमोच्च होते हैं तथा मेष राशि के 20 अंश पर परमनीच होते हैं. कुम्भ इनकी मूल त्रिकोण राशि भी है. शनि अपने स्थान से तीसरे, सातवें, दसमें स्थान को पूर्ण दृष्टि से देखते हैं, इनकी दृष्टि को अशुभ कारक कहा गया है.


जन्म कुण्डली में शनि षष्टम तथा अष्टम भाव के कारक हैं. शनि के नक्षत्र हैं, पुष्य, अनुराधा तथा उत्तराभाद्रपद हैं. शनि के अधिदेवता प्रजापिता ब्रह्मा तथा प्रत्यधिदेवता यम हैं. माना जाता है कि वास्तु का जन्म शनिवार के दिन हुआ था. इसलिए शनिदेव का यह वार वास्तु प्रवेश के लिए बड़ा शुभ माना गया है.


कुंडली में शनि हो शक्तिशाली तो


शनिदेव प्रारब्ध तथा भाग्य के कारक हैं. शनि का विशेष फल जीवन के आरम्भ अथवा अंत में प्राप्त होता है. यदि जन्म कुण्डली में शनि ग्रह बली अथवा उच्च राशिस्थ होकर शुभ भाव में विद्यमान हो तो लोकप्रियता, सार्वजनिक प्रसिद्धि, वाहन-सुख, ग्रह सुख देते हैं. जब कुण्डली में शनिदेव शक्तिशाली होते हैं तो वे सही तथा गलत का विवेक, जागरूकता जातक में लाते हैं. यदि शनि अनुकूल हो तो संसार में ऐसा कुछ भी नहीं जो प्राप्त न किया जा सके.


जन्म कुण्डली में शनि हों निर्बल तो


यदि जन्म कुण्डली में शनि निर्बल अथवा नीच राशिस्थ है तो यह दारिद्रय, चोर-भय, लकवा, उदर व्याधि, नैत्र रोग, चोटादि से अंग-भंग, दमा, कुष्ठ, वात तथा कफ जनित रोग उत्पन्न करते हैं. शनि देव ही आयु के कारक हैं, आयुष्य योगों में शनि का स्थान महत्वपूर्ण है. शुभ स्थिति में होने पर शनि आयु वृद्धि करते हैं तो अशुभ स्थिति में होने पर आयु का हरण कर लेते हैं. इस बात पर भले ही सहज ही में विश्वास न हों पर यह सच अचंभित करता है कि शनिदेव अप्सरा सिद्धि भी देते हैं.


अप्सराएं शनि मण्डल में ही निवास करती हैं. शनि लोक में वह सुरक्षित महसूस करती हैं. क्योंकि शनिदेव कामविहीन हैं. काम को भस्म करना शनिदेव ने अपने गुरु शिव से सीखा है. शनिदेव परम योगी हैं. वे परम ध्यानी हैं. वे सदैव अपनी नासिका के ऊपर अपनी दृष्टि केन्द्रित रखते हैं. खैर, शनि के बारे में ऐसे तथा अन्य कई वर्णन-प्रसंग आगे के अंकों में यदा-कदा करते रहेंगे.


यह लगभग निश्चित सा हैं कि न केवल वर्ष 2023 बल्कि आगे के वर्षों में शनि शांत होते नहीं लगते. वर्ष 2023 से 2025 के मध्य शनि के कुंभ राशि में रहते विश्व युद्ध होने के कई योग सामने आएंगे तथा 2024 से 2034 के बीच तीसरा विश्व युद्ध तक होने की संभावित स्थितियों के बारे में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्वस्त भविष्यवक्ता सुरेश श्रीमाली पहले ही व्यक्त कर चुके हैं.


वर्ष 2023 से वर्ष 2025 के बीच शनि के कई अनिष्टकारी प्रभाव सामने आने के योग हैं. भारत में राजनीतिक तथा दलीय संघर्ष चरम तक पहुंचेगा. यहां कुछ राजनीतिक दल साम्प्रदायिक उन्माद के शिकंजे में फंसकर अशांति बढ़ाने में सक्रिय हो सकते हैं.


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