Sawan 2023: सावन महीने की शुरुआत 04 जुलाई 2023 से हो चुकी है. इस बार सावन में अधिकमास लगने के कारण सावन 2 महीने का होगा और इसकी समाप्ति 31 अगस्त को होगी. सावन का हर दिन एक पर्व के समान है. क्योंकि सावन की हर तिथि पर विशेष पूजा-पाठ और व्रत किए जाते हैं.


मान्यता है कि सावन में किए गए पूजा, व्रत और तप से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं. क्योंकि यह पवित्र और शिवजी का प्रिय माह होता है. धर्म ग्रंथों में भी सावन की महिमा का बखान किया गया है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, मार्कंडेय ऋषि ने सावन महीने में अपनी कठोर तपस्या से शिवजी को प्रसन्न किया था और उन्हें चिरंजीवी होने का आशीर्वाद मिला था.



मार्कंडेय ऋषि को सावन में ही मिला था अमरत्व का वरदान


धर्म ग्रथों में अमरत्व होने में हनुमान जी, अश्वत्थामा, व्यास, विभीषण आदि में मार्कंडेय ऋषि का भी नाम आता है. पौराणिक कथा के अनुसार, मार्कंडेय ऋषि के पिता का नाम मर्कण्डु ऋषि था. इन्हें कोई संतान नहीं थी. तब इन्होंने अपनी पत्नी के साथ भगवान शिव की तपस्या की. इनकी तपस्या से प्रसन्न होकर शिव प्रकट हुए और कहा कि, तुम गुणहीन दीर्घायु पुत्र चाहते हो या गुणवान अल्पायु पुत्र जिसकी उम्र केवल 16 साल होगी. तब मर्कण्डु ऋषि ने कहा कि, मुझे गुणवान पुत्र ही चाहिए. भगवान शिव के वरदान से ही मर्कण्डु को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई.


लेकिन जब मार्कंडेय ऋषि 16 वर्ष के होने वाले थे तो उन्हें अपने अल्पायु होने की बात माता द्वारा पता चली. तब पिता मर्कण्डु ने उन्हें लंबी उम्र के लिए भगवान शिव की तपस्या करने को कहा. कहा जाता है कि सावन महीने में ही मार्कंडेय ऋषि ने कठिन तपस्या की. उसकी तपस्या से शिवजी प्रसन्न हुए और उसे अमरत्व का वरदान दिया. मार्कंडेय की तपस्या और शिवजी के वरदान के सामने काल देवता यमराज भी नतमस्तक हो गए. मार्कंडेय के मृत्यु काल को टालने के कारण भी शिव को महाकाल कहा जाता है


अमरत्व होने के साथ ही शिव ने मार्कंडेय ऋषि को दिया ये वरदान


शिवजी ने मार्कंडेय ऋषि को चिरंजीवी होने के साथ ही पूजे जाने का भी वरदान दिया. शिवजी ने कहा कि, मार्कंडेय ऋषि की सदैव पूजा की जाएगी. इसलिए भगवान शिव के साथ ही मार्कंडेय ऋषि की भी पूजा की जाने लगी. यही कारण ही भगवान शिव को प्रसन्न कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए सावन माह को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है.


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