Sawan 2023: सावन का महीना भोलेनाथ को बहुत प्रिय है. इस महीने में पूरी श्रद्धा के साथ उनकी पूजा-अर्चना की जाती है. इस महीने महादेव को प्रसन्न करने के लिए तरह-तरह के उपाय करते हैं. महादेव की पूजा में उन्हें चंदन या भस्म का त्रिपुंड जरूर लगाया जाता है. त्रिपुंड में शिवलिंग पर तीन रेखाओं का तिलक लगाया जाता है. 


शिव जी अपने माथे पर त्रिपुंड धारण करते हैं. अक्सर साधू-संतों और पुजारी भी अपने माथे पर तीन रेखाओं का तिलक लगाते हैं. शासत्रों में त्रिपुंड का विशेष महत्व बताया गया है. आइए जानते हैं इसके बारे में.



त्रिपुंड की तीन रेखाओं का मतलब


त्रिपुंड में नौ देवताओं का वास होता है. त्रिपुंड की पहली रेखा में जो नौ देवता माने जाते हैं वो अकार, गार्हपत्य अग्नि, पृथ्वी, धर्म, रजोगुण, ऋग्वेद, क्रिया शक्ति, प्रात:स्वन और महादेव हैं.


त्रिपुंड की दूसरी रेखा में, ऊंकार, दक्षिणाग्नि, आकाश, सत्वगुण, यजुर्वेद, मध्यंदिनसवन, इच्छाशक्ति, अंतरात्मा और महेश्वर जी का नाम आता है.


त्रिपुंड की तीसरी रेखा में मकार, आहवनीय अग्नि, परमात्मा, तमोगुण, द्युलोक, ज्ञानशक्ति, सामवेद, तृतीयसवन और शिव जी वास करते हैं.


त्रिपुंड धार्मिक आस्था के साथ ही ईश्वर की भक्ति में रम जाने और उनसे अद्भुत शक्ति पाने का भी एक माध्यम है. ललाट पर चमकने वाली इन तेजस्वी रेखाओं की महिमा बहुत खास है. 


त्रिपुंड की महिमा


शास्त्रों के अनुसार मस्तक पर तीन अंगुलियों से भक्ति पूर्वक भस्म का त्रिपुंड लगाने से मुक्ति मिलती है. इसे शिव तिलक भी कहते हैं. यह शरीर की तीन नाड़‍ियों इड़ा, पिंगला और सुषुम्ना का भी प्रतिनिधित्व करती हैं. इसे लगाने से आत्मा को परम शांति मिलती है. जो लोग त्रिपुंड धारण करते हैं उन लोगों पर शिव की विशेष कृपा होती है. 


त्रिपुंड परमब्रह्म की शक्ति का सूचक माना जाता है. ये ईश्वर की भक्ति में सराबोर हो जाने और उनकी कृपा पाने का भी एक सूचक है.शिव पुराण के अनुसार जो लोग नियमित अपने माथे पर भस्म से त्रिपुंड धारण करते हैं, उनके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और व्यक्ति शिव कृपा का पात्र बन जाता है. चंदन और भस्म को माथे पर लगाने से  मानसिक शांति मिलती है.


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