Pradosh Vrat Importance: हर महीने की कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष को त्रयोदशी मनाते हैं. प्रत्येक पक्ष की त्रयोदशी के व्रत को प्रदोष व्रत कहा जाता है. सूर्यास्त के बाद और रात्रि के आने से पहले का समय प्रदोष काल कहलाता है. प्रदोष व्रत में भगवान शिव जी की पूजा की जाती है. शिव जी को प्रसन्न करने के लिए इस दिन प्रदोष व्रत रखा जाता है. माना जाता है कि प्रदोष के दिन भगवान शिव कैलाश पर्वत स्थित अपने रजत भवन में नृत्य करते हैं. 


सावन का पहला प्रदोष व्रत


सावन में आने वाले प्रदोष व्रत की महिमा और बढ़ जाती है. इस साल सावन 59 दिनों का होने की वजह से सावन में 4 प्रदोष आएंगे. सावन का पहला प्रदोष व्रत 14 जुलाई, शुक्रवार को रखा जाएगा. साल भर में पड़ने वाले सभी प्रदोष व्रत महादेव की पूजा के लिए उत्तम माने जाते हैं, लेकिन सावन माह में इसका महत्व बहुत अधिक बढ़ जाता है. 
सावन में पड़ने वाली त्रयोदशी शंकर जी की पूजा के लिए बहुत खास मानी जाती है. 



प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त


पंचांग के अनुसार सावन माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 14 जुलाई 2023 को रात 07 बजकर 17 मिनट से शुरू होगी और इसका समापन 15 जुलाई को रात 08 बजकर 32 मिनट पर होगा. शिव जी की पूजा प्रदोष काल में ही की जाती है, इसलिए शुक्र प्रदोष व्रत 14 जुलाई को  ही रखा जाएगा. इस दिन शिव पूजा का समय रात 07 बजकर 21 मिनट से रात 09 बजकर 24 मिनट तक रहेगा.


प्रदोष व्रत की पूजन विधी


प्रदोष का व्रत रखने से शिव जी प्रसन्न होते हैं और सभी दोष दूर करते हैं. प्रदोष व्रत वाले दिन पूजा के लिए प्रदोष काल यानी शाम का समय शुभ माना जाता है. इसके लिए सूर्यास्त से एक घंटे पहले स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें. स्नान के बाद संध्या के समय शुभ मुहूर्त में पूजा आरंभ करें. गाय के दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल से शिवलिंग का अभिषेक करें. अब शिवलिंग पर श्वेत चंदन लगाकर बेलपत्र, मदार, पुष्प, भांग चढ़ाए और विधिपूर्वक पूजन और आरती करें.


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