Sawan Pradosh: हिन्दू धर्म में सावन का महीना बहुत ही शुभ माना जाता है. इस महीने आने वाले प्रदोष व्रत का विशेष महत्व होता है. सावन का प्रदोष व्रत करने से पूजा का दोगुना फल मिलता है. सावन का पहला प्रदोष व्रत आज यानी 14 जुलाई को है. शुक्रवार के दिन पड़ने के कारण इसे शुक्र प्रदोष व्रत भी कहा जाता है.
सावन के शुक्र प्रदोष व्रत के लाभ
शुक्र प्रदोष व्रत करने से जीवन में सुख-सौभाग्य की वृद्धि होती है. सावन में पड़ने वाले शुक्र प्रदोष का व्रत करने से मां लक्ष्मी की भी कृपा प्राप्त होती है. इस व्रत को करने से सौ गाय दान करने के बराबर फल प्राप्त होता है. जो भी इस व्रत को पूरे विधि- विधान और तन, मन, धन से करता है उसके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं.
सावन के शुक्र प्रदोष व्रत की पूजन विधि
सावन के प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव का अक्षत, चंदन, भांग धतूरा, और बेलपत्र से अभिषेक करें. ऐसा करने से भगवान शिव शीघ्र प्रसन्न होते हैं और अपनी कृपा बरसाते हैं. आज के दिन शहद से शिवलिंग का अभिषेक करने से जीवन में आ रही समस्याओं से छुटकारा मिलता है. सावन प्रदोष व्रत के दिन प्रदोष काल में शिव जी का रुद्राभिषेक करना उत्तम माना जाता है. इस दौरान ओम नम: शिवाय मंत्र का जप करते रहें.
शुक्र प्रदोष व्रत के दिन शाम के समय माता लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए. इस दिन अष्ट लक्ष्मी की पूजा करने से विशेष लाभ मिलता है. अष्ट लक्ष्मी की तस्वीर पर गुलाब का फूल चढ़ाएं, फिर धूप-दीप दिखाएं. इसके बाद ‘ऐं ह्रीं श्रीं अष्टलक्ष्मीयै ह्रीं सिद्धये मम गृहे आगच्छागच्छ नम: स्वाहा' का जाप करें. इससे माता सभी इच्छाएं पूरी करती हैं और धन-संपत्ति का आशीर्वाद देती हैं.
प्रदोष व्रत का महत्व
प्रदोष व्रत को हिन्दू धर्म में बहुत शुभ और महत्वपूर्ण माना जाता है. इस दिन पूरी निष्ठा से भगवान शिव की अराधना करने से जातक के सारे कष्ट दूर होते हैं और मृत्यु के बाद उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस दिन शिव की अराधना करने से पापों का प्रायश्चित होता है औस सारे कष्ट दूर होते हैं. इस व्रत के महत्व के बारे में सबसे पहले भगवान शिव ने ही माता सती को बताया था.
ये भी पढ़ें
सावन में आए ये सपने देते हैं खास संकेत, मुसीबतों से मिलता है छुटकारा
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.