Sawan Putrada Ekadashi Sanyog: सावन महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी को श्रावण पुत्रदा एकादशी कहा जाता है. यह एकादशी व्रत विशेष फलदायी माना जाता है. इस बार पुत्रदा एकादशी का व्रत 27 अगस्त, रविवार के दिन रखा जाएगा. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और व्रत करने का विधान है. इस एकादशी के दिन शुभ संयोग बन रहा है. रविवार को होने की वजह से दिन भगवान विष्णु के साथ श्रीकृष्ण, सूर्य देव और शिवजी की भी पूजा करनी चाहिए.
भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण की पूजा
सावन महीने के शुक्ल पक्ष में आने वाली पुत्रदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण की विशेष पूजा करने से जाने-अनजाने में हुए हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं. मान्यता है कि इस दिन श्रीकृष्ण की पूजा करने से पुत्र का वरदान मिलता है और घर में सुख-समृद्धि आती है. इस दिन भगवान विष्णु के श्रीधर रूप की पूजा की जाती है. इस महीने में आने वाले रविवार को पर्जन्य नाम के सूर्य की पूजा की जाती है. इनके लिए व्रत और पूजा करने से महापुण्य मिलता है.
पुत्रदा एकादशी की पूजन विधि
इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर नहाएं और व्रत का संकल्प लें. इसके बाद पीपल के पेड़ और तुलसी की पूजा करें. इसके बाद मंदिर जाकर या घर में ही श्रीकृष्ण या भगवान विष्णु का अभिषेक करें. एकादशी व्रत के नियमों का पालन करें. इस दिन शाम के समय तुलसी के पौधे के पास घी का दीपक जलाना चाहिए. मंदिर जाकर भगवान को प्रसाद चढ़ाएं और इसे जरुरतमंद लोगों को बांट दें. इस एकादशी पर भगवान विष्णु के साथ महालक्ष्मी का अभिषेक भी करना चाहिए. दक्षिणावर्ती शंख में केसर मिला हुआ दूध भरें और उससे श्रीकृष्ण के बाल रूप का अभिषेक करें.
अगर आप एकादशी के दिन व्रत नहीं कर पाते हैं तो भगवान विष्णु या श्रीकृष्ण के मंदिर में जाकर सुबह-शाम घी का दीपक लगाना चाहिए. भगवान को तुलसी पत्र भी चढ़ाने चाहिए. दिन भर 'ऊँ विष्णवे नम:' मंत्र का जाप करें.
सावन के महीने में रविवार को एकादशी का संयोग बने तो ऐसे में सूर्य को दिए गए अर्घ्य से मिलने वाला पुण्य और शुभ प्रभाव और बढ़ जाता है. एकादशी के दिन उगते हुए सूर्य को जल जरूर चढ़ाना चाहिए. सूर्य को जल चढ़ाते समय 'ऊँ सूर्याय नम:' मंत्र का जाप करें. सूर्य को अर्घ्य देने के लिए तांबे के लोटे का इस्तेमाल करना चाहिए. सावन महीने के शुक्ल पक्ष का रविवार होने से इस दिन की गई शिव पूजा भी बहुत लाभकारी मानी गई है.
सावन महीना होने से इस एकादशी पर चांदी के लोटे में पानी भरकर उसमें गंगाजल और दूध मिलाकर शिवलिंग पर चढ़ाना चाहिए. इसके बाद शिवलिंग पर चंदन, भस्म, मदार के फूल, बिल्व पत्र और धतूरा चढ़ानें. शिव मंदिर में शाम को तिल के तेल का दीपक जलाना चाहिए. ऐसा करने से हर तरह के रोग, शोक और दोष खत्म होते हैं.
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