Astrological and Medicinal Importance of Shami Tree: हिन्दू धर्म ग्रंथों में पेड़ पौधों का महत्त्व बहुत विस्तार से बताया गया है. इसमें प्रकृति पूजा का विशेष स्थान है. वैसे तो सभी पेड़ हमारे वातावरण को शुद्ध और ताजा बनाते हैं. परन्तु कुछ पेड़ ऐसे हैं जिनका औषधीय महत्व होने के साथ-साथ धार्मिक महत्व भी बहुत अधिक है. इन्हीं में एक पेड़ शमी का है.
शमी का संबंध शनिदेव से है. नवग्रहों में शनि महाराज को दंडाधिकारी का स्थान प्राप्त है. इसलिए जब शनि की दशा या साढ़ेसाती आती है. तो जातक के अच्छे-बुरे कर्मों का पूरा हिसाब किताब होता है. इसलिए शनि के प्रकोप से सभी लोग भयभीत होते हैं. शमी और पीपल का पेड़ ऐसा है जिस पर शनि का प्रभाव रहता है. पीपल का पेड़ बहुत बड़ा होने के कारण उसे घर में नहीं लगाया जा सकता है. वहीँ शमी का पेड़ छोटा होने के कारण इसे घर में आसानी से लगाया जा सकता है.
शनिवार की शाम को शमी के वृक्ष की पूजा की जाए तथा उसके नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाया जाए तो शनि का कुप्रभाव कम होता है. यही नहीं शमी के पेड़ को घर में लगा कर उसकी पूजा की जाए तो घर में कभी भी धन और वैभव की कमी नहीं होती है. सदैव सुख-शांति बनी रहती है. हर शनिवार के दिन शमी के पते को शनि देव पर चढ़ाकर पूजा की जाए तो शनि देव बहुत जल्दी प्रसन्न होते हैं और जातक के कार्यों की बाधाएं दूर हो जाती है.
मान्यता है कि शमी के वृक्ष में अग्नि देवता का वास होता है इस लिए इसे यज्ञ में अग्नि को प्रज्जवलित करने के लिए उपयोग में लाया जाता है. जन्मकुंडली में शनि का दोष है तो घर में शनि का पौधा लगाकर हर रोज उसकी पूजा करने से शनि के कुप्रभाव को दूर किया जा सकता है. सोमवार के दिन एक लाल मौली शमी के पेड़ में बांधें. उसके अगले दिन उस लाल मौली को चांदी के डिबिया या ताबीज में भरकर उसे तिजोरी में रख दें. इससे तिजोरी में धन की कमी नहीं होगी.
मान्यता है कि शमी के वृक्ष पर भगवान शिव का वास होता है. इस लिए इसके पत्ते को गणेश जी को चढ़ाते हैं. शमी का पत्र चढ़ाने बुद्धि तेज होती है और घर में सुख-शांति बनी रहती है.