Shani Chalisa: शनि चालीसा का विशेष महत्व है. शनिवार के दिन शनि चालीसा का पाठ करना उत्तम माना गया है. आज शनिवार है, आइए यहां पढ़ते हैं संपूर्ण शनि चालीसा-
शनि चालीसा (Shani Chalisa in Hindi)
।। दोहा ।।
जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल करण कृपाल।
दीनन के दुख दूर करि, कीजै नाथ निहाल।।
जय जय श्री शनिदेव प्रभु, सुनहु विनय महाराज।
करहु कृपा हे रवि तनय, राखहु जन की लाज।।
।। चौपाई।।
जयति जयति शनिदेव दयाला । चारि भुजा, तनु श्याम विराजै । परम विशाल मनोहर भाला । कुण्डल श्रवण चमाचम चमके । कर में गदा त्रिशूल कुठारा । पिंगल, कृष्णों, छाया, नन्दन । सौरी, मन्द, शनि, दश नामा । जा पर प्रभु प्रसन्न है जाहीं । पर्वतहू तृण होई निहारत । राज मिलत बन रामहिं दीन्हो । बनहूं में मृग कपट दिखाई । लखनहिं शक्ति विकल करि डारा । रावण की गति-मति बौराई । दियो कीट करि कंचन लंका । नृप विक्रम पर तुहि पगु धारा । हार नौलाखा लाग्यो चोरी । भारी दशा निकृष्ट दिखायो । विनय राग दीपक महं कीन्हों । हरिश्चन्द्र नृप नारि बिकानी । तैसे नल परदशा सिरानी । श्री शंकरहि गहयो जब जाई । तनिक विलोकत ही करि रीसा । पाण्डव पर भै दशा तुम्हारी । कौरव के भी गति मति मारयो । रवि कहं मुख महं धरि तत्काला । शेष देव-लखि विनती लाई । वाहन प्रभु के सात सुजाना । जम्बुक सिंह आदि नखधारी । गज वाहन लक्ष्मी गृह आवैं । गर्दभ हानि करै बहु काजा । जम्बुक बुद्घि नष्ट कर डारै । जब आवहिं प्रभु स्वान सवारी । तैसहि चारि चरण यह नामा । लौह चरण पर जब प्रभु आवैं । समता ताम्र रजत शुभकारी । जो यह शनि चरित्र नित गावै । अदभुत नाथ दिखावैं लीला । जो पण्डित सुयोग्य बुलवाई । पीपल जल शनि दिवस चढ़ावत । कहत रामसुन्दर प्रभु दासा । |
।। दोहा ।।
पाठ शनिश्चर देव को, की हों विमल तैयार।
करत पाठ चालीस दिन, हो भवसागर पार।।
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