Shani Dev: देवताओं में शनि देव का अपना विधि विधान है. शनि देव शिव जी के शिष्य, भगवान सूर्य के पुत्र और स्वर्ग के दण्डाधिकारी माने जाते हैं. लोगों के कर्मों का अनुचित भोग शनि देव प्रदान करते हैं. व्यक्ति पर शनि की अच्छी दृष्टि पड़ने पर उसके दिन सुधर जाते हैं. उसके कामों में तरक्की आती है. समाज में उचित मान-सम्मान और लोगों का विश्वास मिलता है, नौकरी या व्यापार में लाभ की प्राप्ति होती है. वहीं शनि के नाखुश होने पर व्यक्ति के जीवन का संतुलन चला जाता है. उसके कामों में बाधा आने लगती है साथ ही सेहत, शांति, सुख, सम्मान सब में विघ्न पैदा होने लगता है. 


शनि खराब होने की स्थिति में शनि देव की पूजा, दान-पुण्य, आस्था और धार्मिक विश्वास से शनि दोष ठीक किया जा सकता है. शनि देव की सच्चे मन और उचित विधि विधान से पूजा पाठ, चालीसा-आरती करने से शनि दोष से छुटकारा मिल जाता है. कहते हैं कि कोई भी पूजा आरती के बिना अधूरी है. शनि देव के चालीसा या पाठ करने के बाद उनकी आरती करने से भक्तों को पूजा का पूरा फल मिलता है. आइए जानते हैं शनि देव की आरती क्या है. 



शनि देव की आरती (Shani Aarti in Hindi)
जय जय श्री शनि देव भक्तन हितकारी।
सूर्य पुत्र प्रभु छाया महतारी॥
जय जय श्री शनि देव....


श्याम अंग वक्र-दृ‍ष्टि चतुर्भुजा धारी।
नी लाम्बर धार नाथ गज की असवारी॥
जय जय श्री शनि देव....


क्रीट मुकुट शीश राजित दिपत है लिलारी।
मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी॥
जय जय श्री शनि देव....


मोदक मिष्ठान पान चढ़त हैं सुपारी।
लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी॥
जय जय श्री शनि देव....


देव दनुज ऋषि मुनि सुमिरत नर नारी।
विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी॥
जय जय श्री शनि देव भक्तन हितकारी।।
शनि देव की जय…जय जय शनि देव महाराज…शनि देव की जय!!!


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