Shani Dev: इन दो देवताओं की पूजा करने से शनि की अशुभता होती है दूर, महाशिवरात्रि बन रहा है विशेष योग
Shani Sade Sati: शनिदेव को ज्योतिष शास्त्र में एक विशेष ग्रह माना गया है. शनि शुभ फल देने के साथ अशुभ फल भी प्रदान करते हैं. शनि जब अशुभ हो जाएं तो इन दो देवताओं की पूजा अवश्य करनी चाहिए.

Shani Ki Dhaiya: शनिदेव को सभी ग्रहों में न्यायाधीश माना गया है. शनि व्यक्ति को अच्छे और बुरे दोनों प्रकार के फल प्रदान करते हैं. शनि जब अशुभ होते हैं तो व्यक्ति का जीवन कष्ट से भर देते हैं. हर प्रकार की परेशानियों से व्यक्ति घिर जाता है. उसे इन परेशानियों से बाहर निकलने का रास्ता भी नहीं दिखाई देता है. व्यक्ति बुरी तरह से हताश और निराश हो जाता है. शनि की चाल बहुत ही धीमी है. इस कारण जब शनि अशुभ होते हैं तो लंबे समय तक फल प्रदान करते हैं.
शनि देव का स्वभाव शनिदेव का स्वभाव अन्य ग्रहों से एकदम अलग है. शनि की चाल धीमी है. ये हर कार्य को बहुत ही धीमी गति से करते हैं. लाभ भी यदि देना होगा तो शनि धीरे-धीरे और देर से प्रदान करते हैं. शनि व्यक्ति को आलसी भी बनाते हैं. इसके साथ ही शनि शुभ हों तो व्यक्ति को कठोर परिश्रम करना वाला भी बनाते हैं.
शनि अशुभ फल शनि की साढ़ेसाती और शनि की ढैय्या के दौरान ऐसा माना गया है कि शनिदेव शुभ फल प्रदान नहीं करते हैं. साढ़ेसाती और ढैय्या के दौरान व्यक्ति को जॉब, करियर और बिजनेस से जुड़ी परेशानियों के साथ साथ सेहत संबंधी दिक्कतों का भी सामना करना पड़ता है.
मिथुन और तुला राशि पर शनि की ढैय्या मिथुन और तुला राशि पर इस समय शनि की ढैय्या चल रही है. वहीं धनु राशि, मकर राशि और कुंभ राशि पर शनि की साढ़ेसाती चल रही है.
शनि का उपाय शनिदेव की क्रूर दृष्टि से बचने के लिए भगवान शिव और भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करनी चाहिए. इसके साथ ही हनुमान जी की पूजा से शनिदेव शांत होते हैं. शनिवार को शनि का दान देना भी उत्तम माना गया है. 11 मार्च को महाशिवरात्रि का पर्व आ रहा है. इस दिन शिव भगवान की पूजा करने से भी शनिदेव शांत होते हैं. इस बार महाशिवरात्रि पर पंचांग के अनुसार शिव योग का निर्माण हो रहा है. इसलिए इस दिन भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व है.
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