Shani Dev: कालाष्टमी पर करें शनिदेव को शांत, इन राशि पर भारी हैं शनि
Shani Ki Dhaiyya: मिथुन राशि और तुला राशि पर शनि की ढैय्या और धनु राशि, मकर राशि और कुंभ राशि पर शनि की साढ़ेसाती चल रही है. शनि को शांत रखना है तो 3 मई 2021 को विशेष योग बन रहा है.
Kalashtami 2021: शनिदेव को न्याय करने वाला ग्रह माना गया है. भगवान शिव ने शनिदेव को वरदान दिया है कि शनिदेव की छाया से मनुष्य, देवता और पिशाच भी नहीं बच सकते हैं. यही कारण है कि शनिदेव का नाम आते ही लोग परेशान हो उठते हैं. शनिदेव को ज्योतिष शास्त्र में न्याय का देवता बताया गया है. शनिदेव व्यक्ति को कर्मों के आधार पर फल देते हैं.
शनिदेव गलत कार्यों को करने पर बुरे फल प्रदान करते हैं और शनि की ढैय्या और शनि की साढ़ेसाती के दौरान दंड देने का कार्य करते हैं. वहीं जो लोग अच्छे कार्य करते हैं, इंसानियत को बढ़ावा देने में अपना योगदान प्रदान करते हैं, शनि उन्हें शुभ फल प्रदान करते हैं. इसलिए शनिदेव के नाम से घबराने की आवश्यकता नहीं है. कर्म को ठीक रखें, शनि शांत रहेंगे.
इन 5 राशियों पर शनि की दृष्टि
मिथुन, तुला, धनु, मकर और कुंभ राशि पर शनि की नजर है. इन राशियों पर शनि की ढैय्या और शनि की साढ़ेसाती चल रही है.
कालाष्टमी पर शनि देव की पूजा करें
शनिदेव के कारण जिन लोगों के जीवन में परेशानियां बनी हुई हैं वे कालाष्टमी के दिन भगवान कालभैरव की पूजा करें. पंचांग के अनुसार 3 मई 2021 सोमवार को वैशाख मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि है. इस तिथि को कालाष्टमी भी कहा जाता है. सोमवार के दिन कालाष्टमी होने के कारण इस दिन पूजा और व्रत का महत्व बढ़ जाता है. सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित है. शनिदेव भगवान शिव के भक्त हैं. कालाष्टमी पर भगवान शिव के रूद्रस्वरूप कालभैरव की पूजा की जाती है. मान्यता है कि भगवान कालभैरव की पूजा करने से शनि शांत होते हैं.
कालाष्टमी का शुभ मुहूर्त
अष्टमी तिथि का आरंभ: 03 मई 2021 सोमवार को दोपहर 01 बजकर 39 मिनट से
अष्टमी तिथि का समापन: 04 मई 2021 मंगलवार को दोपहर 01 बजकर 10 मिनट पर
शनिदेव की पूजा
वैशाख मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि शनिदेव की पूजा के लिए उत्तम है. वैशाख मास में शनि की पूजा करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं. वहीं अंक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अष्टम अंक शनि का अंक माना जाता है. शाम के समय शनि मंदिर में शनिदेव की पूजा करें. इस दिन शनिदेव से जुड़ी चीजों का दान करें. शनि मंत्र का जाप करें और शनि चालीसा का पाठ करें.