Shani Jayanti 2021 Date: शनि देव का जन्म ज्येष्ठ मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या की तिथि को हुआ था. इसीलिए इस तिथि श्नैश्चर अमावस्या और शनि जयंती के नाम से जाना जाता है. पंचांग के अनुसार 10 जून, गुरुवार को ज्येष्ठ मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि है. शनि जयंती पर विधि पूवर्क पूजा करने से शनि देव प्रसन्न होते हैं.


शनि देव गलतियां करने पर दंड देते हैं
ज्योतिष शास्त्र में शनि देव को नवग्रहों में न्यायाधीश का दर्जा प्राप्त है. शनि को दंडाधिकारी भी कहा जाता है. शनि ये अधिकार प्राप्त है कि वे व्यक्ति को उसके अच्छे बुरे कार्यों का फल प्रदान करें. शनि की दृष्टि से कोई नहीं बच सकता है, स्वयं देवता भी नहीं.


शनि साढ़ेसाती और शनि की ढैय्या में विशेष फल प्रदान करते हैं
शनि देव अपनी दशा, साढ़ेसाती और ढैय्या के दौरान अच्छे बुरे फल प्रदान करते हैं. जन्म कुंडली में शनि की शुभ होने और व्यक्ति द्वारा अच्छे कार्य किए जाने पर शनि देव शुभ फल प्रदान करते हैं. वहीं खराब स्थिति या फिर पाप और शत्रु ग्रह के साथ हैं तो बुरे फल प्रदान करते हैं.


शनि अशुभ हैं, ऐसे लगाएं पता
शनि देव के अशुभ होने का पता लगाया जा सकता है. शनि देव जब अशुभ होते हैं तो व्यक्ति को व्यापार, करियर, शिक्षा, दांपत्य जीवन, लव रिलेशन, सेहत और धन के मामलों में परेशानी और बाधाएं महसूस होने लगे तो समझ लेना चाहिए शनि देव अशुभ फल प्रदान कर रहे हैं.


शनि मंत्रों का जाप करें
शनि जयंती पर पूजा के साथ शनि मंत्रों का जाप करने से शनि देव को प्रसन्न कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है. जानते हैं शनि के मंत्र-


- ॐ शं नो देवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये। शं योरभि स्त्रवन्तु न:.
- ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम:.
- ॐ शं शनैश्चराय नम: है.
- नीलांजनसमाभासं रविपुत्र यमाग्रजम, छायामार्तंड सम्भूतं नं नमामि शनैश्चरम.


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