Mahima Shani Dev Ki: शनिदेव को सभी 9 ग्रहों में बहुत ही प्रभावी ग्रह माना गया है. मान्यता है कि शनिदेव व्यक्ति को उसके अच्छे और बुरे कर्मों का फल प्रदान करते हैं. भगवान शिव ने शनिदेव को सभी ग्रहों में दंडाधिकारी नियुक्त किया है. इसीलिए शनिदेव को न्याय का देवता भी कहा जाता है.



शनिदेव जब अशुभ होते हैं तो व्यक्ति का जीवन संकट और परेशानियों से भर जाता है. शनि की महादशा, शनि की साढ़ेसाती और शनि की ढैय्या के दौरान शनिदेव अधिक बुरे फल प्रदान करते हैं. इसलिए शनि देव को शांत रखने के लिए विशेष उपाय करने की सलाह दी जाती है.

मिथुन और तुला राशि पर है शनि की ढैय्या
मिथुन राशि और तुला राशि पर वर्तमान समय में शनि की ढैय्या चल रही है. ढैय्या के समय व्यक्ति को सेहत, शिक्षा, व्यापार आदि में उतार चढ़ाव की स्थिति का सामना करना पड़ता है.


धनु, मकर और कुंभ राशि पर शनि की साढ़ेसाती है
धनु राशि, मकर राशि और कुंभ राशि पर शनि की साढ़ेसाती चल रही है. वर्ष 2021 में शनिदेव का कोई भी राशि परिवर्तन नहीं है. इस वर्ष शनि सिर्फ नक्षत्र परिवर्तन कर रहे हैं. साढ़ेसाती के दौरान शनिदेव व्यक्ति को कार्यों में बाधा और धनहानि जैसी दिक्कतें प्रदान करते हैं.

नवरात्रि में शनिदेव की पूजा
पंचांग के अनुसार 17 अप्रैल शनिवार को चैत्र मास की पंचमी तिथि है. नवरात्रि के पर्व का इस दिन पांचवां दिन है और स्कंदमाता की पूजा की जाएगी. शनिवार के दिन मृगशिरा नक्षत्र बना हुआ है, इस नक्षत्र का स्वामी मंगल है. इस दिन सूर्यास्त के बाद शनिदेव की विशेष पूजा करनी चाहिए. शनि मंदिर में शनि को सरसों को तेल चढ़ाना चाहिए. इससे शनिदेव प्रसन्न होते हैं. शनिवार को शनि चालीसा का पाठ विशेष फल प्रदान करता है. 

शनि मंत्र का जाप करें
ऊँ प्रां प्रीं प्रौं स: शनये नम:


शनि का वैदिक मंत्र
ऊँ शन्नो देवीरभिष्टडआपो भवन्तुपीतये. 


शनि का एकाक्षरी मंत्र
ऊँ  शं शनैश्चाराय नम:. 


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