Shani Ki Dhaiya: शनि ग्रह को ज्योतिष में एक न्याय प्रिय ग्रह माना गया है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शानि व्यक्ति को उसके कर्मों के आधार पर अच्छे और बुरे फल प्रदान करते हैं. कहने का अर्थ है कि जब व्यक्ति अच्छे कर्म करता है तो शनि देव उसे शुभ फल प्रदान करते हैं और जब व्यक्ति गलत कार्यों में लिप्त हो जाता है तो शनि उसे नकारात्मक फल प्रदान करते हैं. इसलिए ऐसा कहना कि शनिदेव हमेशा गलत ही फल देते हैं, ये कहना उचित नहीं है.
शनि की साढ़ेसाती और शनि की ढैय्या
शनिदेव की जब भी बात आती है तो शनि की साढ़ेसाती और शनि की ढैय्या का वर्णन अवश्य आता है. शनि की इन स्थितियों में व्यक्ति को कष्ट भोगने पड़ते हैं. जिस पर भी साढ़ेसाती और ढैय्या होती है उसे विभिन्न प्रकार की समस्याओं और बाधाओं का सामना करना पड़ता है.
शनिदेव का फल
शनिदेव जब अशुभ फल प्रदान करते हैं तो व्यक्ति को हर कार्य में बाधाओं को सामना करना पड़ता है. आसान कार्य भी बड़ी मुश्किल से पूर्ण होता है. इसके साथ ही रोग आदि में भी वृद्धि होती है. दुर्घटना और ऑपरेशन का भी योग बना देते हैं. पाप ग्रहों के साथ यदि कोई संबंध बना लें तो व्यक्ति को गंभीर रोग भी प्रदान करते हैं. दांपत्य जीवन में भी परेशानी महसूस होने लगती है.
इन 5 राशियों को विशेष ध्यान देना चाहिए
ज्योतिष गणना के अनुसार मिथुन, तुला और धनु, मकर और कुंभ राशि पर शनि की विशेष दृष्टि है. मिथुन और तुला पर शनि की ढैय्या और धनु, मकर और कुंभ राशि पर शनि की साढ़ेसाती चल रही है.
शनि किस राशि में गोचर कर रहे हैं
शनिदेव इस समय मकर राशि में गोचर कर रहे हैं. शनि इस वर्ष कोई राशि परिवर्तन नहीं कर रहे हैं. मकर राशि वालों को इस समय विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है.
शनि का उपाय
शनि को शुभ बनाने के लिए शनि मंदिर में जाकर शनिदेव पर सरसों का तेल चढ़ाना चाहिए. मंगलवार को हनुमान जी की पूजा करनी चाहिए. इसके साथ ही शनिवार के दिन शनि से जुड़ी चीजों का दान करने से भी शनिदेव प्रसन्न होते हैं.
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