Shani Dev: राजा हो या रंक. कर्मों का हिसाब सभी का होता है. कोई कितना ही शक्तिशाली क्यों न हो उसे किए फल मिलता ही. इसी लोक में कर्मों का फल भोगना ही पड़ता है.
कुछ लोग धन बल के आधार पर ये विचार करने लगते हैं कि वे कुछ भी गलत करेंगे तो बच जाएंगे. लेकिन ऐसा संभव नहीं है. इस लोक में भलेही करनी का फल आपको न मिले लेकिन जब आप तीनों लोक के न्यायाधीश के सामने पेश होंगे तो आपके एक-एक कर्म का हिसाब होगा.
इसलिए ये बात दिमाग से निकाल देनी चाहिए कि वो बच जाएगा. यहां यदि बच भी गए तो उस लोक में इंसाफ होकर रहता है, क्योंकि जो तीनों को लोक का दंड़ाधिकारी है, उससे कोई नहीं बच सकता है.
हिंदू धर्म (Hindu Religion) में पुनर्जन्म की कल्पना की गई है. जिसका अर्थ है कि मृत्यु के बाद आत्मा (Atma) नए शरीर में प्रवेश करती है. गीता (Geeta) में भी यही कहा गया है. आत्मा शाश्वत है. पुनर्जन्म का यह अंतहीन पहिया घुमता रहता है. बिना रूके ये चक्र चलता चला आ रहा है और आगे भी चलता रहेगा.
गरुड़ पुराण (Garuna Puran) की मानें तो मरने के बाद आत्मा को यमराज (Yamraj) तक पहुंचने में 86 हजार योजन की लंबी दूरी तय करनी होती है. इसके बाद ही कर्मों का हिसाब होता है. कर्मों का हिसाब किताब होने के बाद ही स्वर्ग और नरक निर्धारण होता है.
ये तो हुई परलोक की बात, अब जान लेते हैं पृथ्वी लोक पर कर्मों के फल देने कि जिम्मेदारी किसे दी गई है.पौराणिक कथा के अनुसार पृथ्वी लोक सहित तीनों लोक के न्यायाधीश एक ही हैं, और उनका नाम शनि देव है.
ज्योतिष ग्रंथों में शनि देव (Shani Dev) को मकर और कुंभ राशि का स्वामी बताया गया है. तुला राशि इनकी उच्च राशि है, जबकि मंगल की राशि मेष इनकी नीच राशि है.
मृत्यु की जब बात आती है तो यमराज का जिक्र आता है. प्राचीन पुस्तकों में यमराज को सूर्य (Surya) का पुत्र बताया गया है. यमराज (Yamraj) ही मृत्यु के देवता है. शनि भी सूर्य के पुत्र हैं.
भगवान शिव (Lord Shiva) ने शनि देव (Shani Dev) को तीनों लोक का दंडाधिकारी नियुक्त किया है, यानि जो भी गलत कार्य करेगा उसे दंड देने का काम शनि महाराज करेंगे. यही कारण है कि लोग शनि से भय खाते हैं. लेकिन जो लोग गलत कार्यों से तौबा करते हैं, शनि उन्हें सजा नहीं शुभ फल देते हैं.
शनि देव कब दंड देते हैं
कुंडली (Kundli) में शनि को एक प्रमुख ग्रह के तौर पर शामिल किया गया है. कुंडली में शनि की स्थिति को जानकर भी अंदाजा लगाया जा सकता है कि शनि जीवन में कैसे फल देने वाले हैं. शनि की विशेष अवस्थाएं हैं जिनमें शनि (Shani Dev) अच्छे और बुरे फल प्रदान करते हैं, ये अवस्थाएं इस प्रकार हैं-
- शनि की साढ़े साती (Sade Sati)
- शनि की ढैय्या (Shani Ki Dhaiya)
- शनि की पनौती (Shani Panoti)
- शनि की महादशा (Mahadasha)
- शनि की अंतर्दशा (Shani ki Antardasha)
- शनि की प्रत्यंतर दशा (Shani ki Pratyantar Dasha)
- शनि अस्त (Shani Ast)
- शनि उदय (Shani Uday)
- शनि व्रकी (Shani Vakri)
- शनि मार्गी (Shani Margi)
- शनि गोचर (Shani Gochar)
शनि देव (Shani Dev) की इन अवस्थाओं में व्यक्ति को कर्मों का फल भोगना पड़ता है. इसलिए उपरोक्त में से यदि कोई भी अवस्था चल रही है तो व्यक्ति को अधिक सावधान हो जाना चाहिए. क्योंकि इस अवस्था में शनि अधिक प्रभावी होते हैं.
शनि कब नहीं करते परेशान
कुंडली में शनि (Shani Dev) की स्थिति कैसी भी हो, यदि व्यक्ति सदमार्ग पर चलता है. शनि उस पर मेहरबान रहते हैं. शनि जीवन में परेशान न करें इसके लिए कुछ बातों का हमेशा ध्यान रखें, जैसे-
- सत्य बोलें
- नियम, कानून का पालन करें
- जीवन में जिनसे जो भी लिया है, उसके लिए सदैव आभार व्यक्त करें
- निर्धन, गरीब, असहाय लोगों की मदद करें. इनका शोषण भूलकर भी न करें.
- घायलों की मदद करें
- पशु-पक्षियों की सेवा करें
- धरती को हरा-भरा और स्वच्छ रखें
- कुष्ट रोगियों की सेवा करें
- लोगों के लिए प्याऊ लगवाएं
- राहगीरों के लिए धर्मशाला और सराय आदि का निर्माण कराएं
- उपजाऊ जमीन को हानि न पहुंचाएं
- समाज के निर्माण में योगदान दें
- कल्याणकारी विचारों से लोगों को जागरूक करें
- गलत लोगों का संग न करें
- नशा आदि से दूर रहें
- अनुशासित जीवन शैली अपनाएं
- धन का प्रयोग दूसरों को नुकसान पहुंचाने के लिए न करें
- पद-प्रतिष्ठा का गलत प्रयोग नहीं करना चाहिए
- मजदूर की मजदूरी समय पर और पूरी दें
- स्त्रियों का आदर सम्मान करें
यदि इन बातों पर अमल करते हैं तो शनि देव (Shani Dev) कभी बुरा नहीं करते हैं. बल्कि समय आने पर इन कर्मों का बहुत ही उत्तम फल भी प्रदान करते हैं.
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