Raja Dasharath krit Shani Stotra, Shani Dev: पंचांग के मुताबिक़ 23 अक्टूबर 2022 से शनि मकर राशि में मार्गी अवस्था में संचरण कर रहें हैं. 17 जनवरी 2023 तक शनि मकर में विराजमान रहेंगे. इस दौरान मकर राशि, कुंभ राशि और धनु राशि पर शनि की साढ़ेसाती और मिथुन एवं तुला पर शनि ढैय्या का प्रकोप रहेगा. शनि साढ़ेसाती और ढैय्या से मुक्ति के लिए इस साल के आखिरी दिन यानी 31 अक्टूबर को ये ख़ास उपाय यानी शनि स्त्रोत का पाठ करना चाहिए. मान्यता है कि इससे शनि देव प्रसन्न होंगे और उनके सभी प्रकार के दोष खत्म हो जायेंगे.


शनि स्त्रोत


नम: कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठ निभाय च।


नम: कालाग्निरुपाय कृतान्ताय च वै नमः। 1


 


नमो निर्मांस देहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च।


नमो विशालनेत्राय शुष्कोदर भयाकृते। 2


 


नम: पुष्कलगात्राय स्थुलरोम्णेऽथ वै नमः।


नमो दीर्घाय शुष्काय कालदंष्ट्र नमोऽस्तु ते। 3


 


नमस्ते कोटराक्षाय दुर्नरीक्ष्याय वै नमः।


नमो घोराय रौद्राय भीषणाय कपालिने। 4


 


नमस्ते सर्वभक्षाय बलीमुख नमोऽस्तु ते।


सूर्यपुत्र नमस्तेऽस्तु भास्करेऽभयदाय च। 5


 


अधोदृष्टे: नमस्तेऽस्तु संवर्तक नमोऽस्तु ते।


नमो मन्दगते तुभ्यं निस्त्रिंशाय नमोऽस्तु ते। 6


 


तपसा दग्ध-देहाय नित्यं योगरताय च।


नमो नित्यं क्षुधार्ताय अतृप्ताय च वै नमः। 7


 


ज्ञानचक्षुर्नमस्तेऽस्तु कश्यपात्मज-सूनवे।


तुष्टो ददासि वै राज्यं रूष्टो हरसि तत्क्षणात्। 8


 


देवासुरमनुष्याश्र्च सिद्ध-विद्याधरोरगा:।


त्वया विलोकिता: सर्वे नाशं यान्ति समूलत:। 9


 


प्रसाद कुरु मे सौरे ! वारदो भव भास्करे।


एवं स्तुतस्तदा सौरिर्ग्रहराजो महाबल:। 10


किसने लिखा था शनि स्त्रोत


धार्मिक मान्यता है कि राजा दशरथ ने शनि देव को प्रसन्न करने के लिए इसी शनि स्त्रोत की रचना की और उसका पाठ किया. तब शनि देव राजा दशरथ पर अति प्रसन्न हुए. तब शनि देव राजा दशरथ से वरदान मांगने के लिए कहा था.  अपनी इच्छा बताते हुए राजा दशरथ ने कहा था कि वह देवता, असुर, मनुष्य, पशु, पक्षी, नाग तथा हर एक को पीड़ा देना बंद कर दें. उनकी यह बात सुनकर शनिदेव अति प्रसन्न हुए और उन्हें यह वरदान दिया.


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