Shani Dev: चाहते हैं शनि देव न करें अनिष्ट तो भूलकर भी न करें ये काम, कर देते हैं सर्वनाश
Shani Dev: शनि को कर्मफलदाता कहा गया है. यानि कर्मों के अनुसार फल प्रदान करने वाला ग्रह. शनि को कुछ काम बिल्कूल भी पसंद नहीं है. यदि ये काम करते हैं तो शनि (Shani) सर्वनाश करने में देर नहीं लगाते हैं.
Shani Dev: शनि देव को नाराज नहीं करना चाहिए. कलियुग में शनि को एक प्रमुख ग्रह माना गया है. शनि शुभ तो मान सम्मान, पद और प्रतिष्ठा मिलती है. वहीं यदि शनि खराब हो जाएं तो व्यक्ति को हर तरह से बर्बाद कर देते हैं. पद प्रतिष्ठा छीन लेते हैं. रुपये-पैसों के लिए मोहताज कर देते हैं. रिश्तेनाते सब खत्म करा देते हैं. यहां तक की तलाक की भी नौबत ला देते हैं. शनि भयंकर नाराज हो तो व्यक्ति को जेल तक की हवा खिला देते हैं. गंभीर रोग देकर, व्यक्ति का जीवन कष्टों से भर देते हैं.
शनि क्या है? (Who is Shani Dev)
पौराणिक ग्रंथों और ज्योतिष शास्त्रों में शनि को सभी नवग्रहों में विशेष स्थान प्राप्त है. शनि को दंडाधिकारी और कर्मफलदाता कहा गया है. कलियुग में शनि ही व्यक्ति के अच्छे और बुरे कामों का फल प्रदान करते हैं.
शनि का स्वभाव कैसा है? (Shani Dev Nature)
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि को क्रूर ग्रहों की श्रेणी में रखा गया है. शनि बेहद अनुशासित और नियमों का पालन करने वाले ग्रह हैं. इन्हें अधिक हंसी मजाक पसंद नहीं है. ये कठोर परिश्रम के भी कारक है.
मकर राशि और कुंभ राशि के स्वामी हैं 'शनि' (Zodiac Sign of Lord Shani)
शनि को दो राशियों का स्वामित्व प्राप्त है. ज्योतिष ग्रंथों में शनि को मकर राशि और कुंभ राशि का स्वामी बताया गया है. इन राशियों में बैठकर शनि देव शुभ फल प्रदान करते हैं. शनि की शुभ स्थिति को बेहतर ढंग से समझने के लिए कुंडली में शनि की डिग्री आदि का भी ध्यान करना चाहिए.
तुला राशि है शनि की प्रिय राशि (Shani Dev Favorite Zodiac Sign)
शनि की सबसे प्रिय राशि तुला है. शनि देव जब तुला राशि में आते हैं तो अत्यंत प्रसन्न होते हैं. यही कारण है कि तुला राशि को शनि की सबसे प्रिय राशि बताया गया है. इस राशि में बैठकर शनि बहुत ही शुभ फल प्रदान करते हैं. व्यक्ति यदि अच्छे कार्य करता है तो शनि अत्यंत प्रसन्न होकर सभी प्रकार के सुखों का भोग कराते हैं.
शनि की साढ़े साती और ढैय्या (Sade Sati and Dhaiya)
शनि की चाल बेहद धीमी बतायी गई है.शनि को एक राशि से दूसरी राशि में जाने पर लगभग ढाई वर्ष का समय लेते हैं. वहीं शनि की महादशा 19 वर्ष के लिए होती है. साढ़े साती और ढैय्या को शनि की सबसे कष्टकारी अवस्था माना गया है. इस दौरान शनि व्यक्ति को परेशानियां प्रदान करते हैं. यदि शनि कुंडली में अशुभ होकर बैठे हैं तो शनि इस दौरान तरह तरह की परेशानियां और समस्याएं प्रदान करते हैं.
शनि उपाय (Shani Upay)
शनि सदैव अनिष्ट फल प्रदान करते हैं, ऐसा नहीं है. शनिवार का दिन शनि देव को समर्पित है. भगवान श्रीकृष्ण, शिव जी और हनुमान जी की पूजा करने से शनि का क्रोध शांत होता है. इसके साथ ही शनिवार के दिन शनि देव से जुड़ी चीजों का दान करने से भी शनि प्रसन्न होते हैं.
शनि कब देते हैं अशुभ फल (Shani Bad Effects)
शनि को नियम और अनुशासन अतिप्रिय है. जो लोग इसका पालन नहीं करते है. नियम तोड़ते हैं और गलत ढंग से आचरण करते हैं. शनि उन्हें कभी माफ नहीं करते हैं और समय आने पर बुरे फल प्रदान करते हैं. इसके साथ ही इन बातों का ध्यान रखना चाहिए-
- मेहनत-मजदूरी करके अपना और अपने परिवार का पेट पालने वालों को कभी नहीं सताना चाहिए. इनका हक नहीं मारना चाहिए. जो लोग ऐसा करते हैं, उन्हें शनि समय आने पर कठोर दंड देते हैं.
- शनि उन लोगों का सब कुछ छीन लेते हैं जो दूसरों की सदैव बुराई करते रहते हैं और दूसरों को हानि पहुंचाने की योजना बनाते रहते हैं. ऐसे लोगों को शनि अपनी दशा, अंर्तदशा, साढ़े साती और ढैय्या आने पर अशुभ फल प्रदान करते हैं.
- अपने पद का अहंकार करना, धन का दिखावा करना, अपने अधिकारों का गलत प्रयोग करने वालों को भी शनि माफ नहीं करते हैं. शनि ऐसे लोगों को कठोर दंड देते हैं.
- प्रकृति और जीव-जंतुओं को हानि नहीं पहुंचानी चाहिए. इससे शनि देव नाराज हो जाते हैं. जहां तक हो इनका सरंक्षण और सुरक्षा करनी चाहिए.
शनि मंत्र (Shani Mantra)
- ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः
- ॐ निलान्जन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम।
छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम॥
शनि मंत्र अच्छी सेहत के लिए
ध्वजिनी धामिनी चैव कंकाली कलहप्रिहा।
कंकटी कलही चाउथ तुरंगी महिषी अजा।।
शनैर्नामानि पत्नीनामेतानि संजपन् पुमान्।
दुःखानि नाश्येन्नित्यं सौभाग्यमेधते सुखमं।।
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