Shani Dev Puja: शनि देव के साथ क्यों की जाती है हनुमान जी की पूजा? जानें यह दिलचस्प पौराणिक कथा
Shani Hanuman Ji Puja: शनि को न्याय का देवता कहा गया है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कर्मों के आधार पर शनि देव फल प्रदान करते हैं. शनि देव के साथ हनुमान जी की भी पूजा करने का विधान है.
Shani Dev: ज्योतिष शास्त्र में शनि देव को महत्वपूर्ण दर्जा प्राप्त है. इन्हें न्यादाता ग्रह भी कहा जाता है. हमारे जीवन काल में किए जाने वाले कर्मों पर निगाह रखने व उसके अनुसार ही फल प्रदान करने के चलते शनिदेव को न्याय का देवता भी कहा जाता है. हालांकि शनि देव के दंड के विधान यानि आपके अनुचित कर्मों पर दिए जाने वाले दंड के कारण शनि का नाम सुनते ही लोगों के मन में भय बैठ जाता है. ऐसे में तकरीबन हर कोई जाने अंजाने में किए अनुचित कर्मों के दंड से मुक्ति पाने के लिए तमाम प्रयास भी करता है.
ज्योतिषाचार्य डॉक्टर अनीष व्यास ने बताया कि दरअसल ज्योतिष में शनि देवता को न्याय का देवता कहा जाता है. माना जाता है कि वह सभी के कर्मों का फल देते हैं. वहीं सनातन धर्म के अनुसार सप्ताह में शनिवार को शनिदेव पूजा के लिए विशेष दिन माना गया है. ज्योतिष की मान्यता है कि शनिवार का कारक ग्रह शनि ही है. कोई भी बुरा काम उनसे छिपा नहीं शनिदेव हर एक बुरे काम का फल मनुष्य को ज़रूर देते हैं. जो गलती जानकर की गई और जो अंजाने में हुई दोनों ही गलतियों पर शनि देव अपनी नजर रखते हैं. इसीलिए उनकी पूजा का बहुत महत्व है.
शनि देव के साथ हनुमान जी की पूजा
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि शनि देव के साथ ही इस दिन हनुमानजी की पूजा करने की परंपरा पुराने समय से चली आ रही है. इस संबंध में कई कथा प्रचलित हैं. एक ओर जहां शनि देव हनुमान जी 11वें रुद्रावतार के गुरु सूर्य देव के पुत्र हैं. वहीं शनि भगवान शिव के शिष्य भी हैं. पौराणिक कथा के अनुसार प्राचीन समय में शनि देव को अपनी शक्ति पर घमंड हो गया था. जब उन्हें मालूम हुआ कि हनुमान जी भी बहुत शक्तिशाली हैं तो शनि देव उनसे युद्ध करने पहुंच गए. शनि देव ने हनुमानजी को ललकारा. उस समय वे अपने आराध्य प्रभु श्रीराम का ध्यान कर रहे थे.
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि हनुमान जी ने शनि को लौट जाने के लिए कहा लेकिन शनि युद्ध के लिए बार-बार उन्हें ललकार रहे थे. हनुमानजी भी क्रोधित हो गए और युद्ध के लिए तैयार हो गए. दोनों के बीच युद्ध शुरू हो गया. हनुमान जी ने शनिदेव पर ऐसे प्रहार किए जिनसे वे बच नहीं सके और घायल हो गए. इसके बाद शनि ने क्षमा याचना की.
हनुमान जी ने क्षमा किया और घावों पर लगाने के लिए तेल दिया. तेल लगाते ही शनि के घाव ठीक हो और दर्द खत्म हो गया. शनि ने हनुमान जी से कहा अब जो भी भक्त आपकी पूजा करेंगे उन्हें शनि के दोष का सामना नहीं करना पड़ेगा. तभी से शनि के साथ ही हनुमानजी की पूजा करने की परंपरा शुरू हो गई.
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि एक अन्य कथा के मुताबिक शनि को रावण की कैद से हनुमान जी ने निकाला था ऐसे में शनि कैद में मिले घावों से शनिदेव को दर्द का अहसास हो रहा था. इसे देखते हुए हनुमानजी ने शनिदेव को घावों पर लगाने के लिए तेल दिया. तेल लगाते ही शनि के घाव ठीक हो और दर्द खत्म हो गया. शनि ने हनुमानजी से कहा अब जो भी भक्त आपकी पूजा करेंगे उन्हें शनि के दोष का सामना नहीं करना पड़ेगा. तभी से शनि के साथ ही हनुमान जी की पूजा करने की परंपरा शुरू हो गई.
ये भी पढ़ें
कुंभ राशि में आए शुक्र, इन राशियों को दिलाएंगे पदोन्नति, करियर में मिलेंगे नए अवसर
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.