Shani Dev, Shani Sade Sati Effect: ज्योतिष शास्त्र में शनि को विशेष स्थान प्राप्त है. इन्हें न्याय का देवता भी कहते हैं. शनि देव लोगों को उनके कर्म के अनुसार फल प्रदान करते हैं. इसलिए इन्हें कर्मफल दाता भी कहते हैं.
क्या होती है शनि की साढ़े साती?
शनि की साढ़ेसाती का अर्थ है साढ़े 7 साल की अवधि. शनि 12 राशियों को घूमने में 30 साल का समय लेते हैं अर्थात शनि एक राशि में ढाई साल रहते हैं. "जब कुंडली में जन्म राशि अर्थात चंद्र राशि से 12वें स्थान पर शनि का गोचर प्रारंभ होता है तो इसी समय से उस राशि पर साढ़ेसाती शुरू होती है".
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब शनि जन्म कुंडली में स्थित चंद्रमा से चतुर्थ भाव, अष्टम भाव में भ्रमण करते हैं, तो उसे शनि की छोटी साढ़ेसाती कहते हैं. इसके अलावा शनि ग्रह किसी की कुंडली के पहले, दूसरे, बारहवें औऱ जन्म के चंद्र के ऊपर से गुजरे तब भी शनि की साढ़े साती होती है.
शनि की साढ़ेसाती के चरण
ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, व्यक्ति के जीवन में शनि की साढ़े साती के तीन चरण होते हैं. शनि की साढ़े साती का प्रभाव जिन राशियों पर पड़ता है, उन्हें शारीरिक, मानसिक आर्थिक कष्टों का सामना करना पड़ता है. जिन राशियों पर शनि की साढ़ेसाती चल रही होती है तो उन लोगों का जीवन बहुत कष्टकारी होता है. इसके प्रभाव को कम करने के लिए ये मंत्र और उपाय बहुत कारीगर होते हैं.
साढ़ेसाती से बचाव के मंत्र
अपराधसहस्त्रानि नियन्तेऽहनिथशंमया। दासोऽयनमनि मांमत्वा क्षमस्व परमेश्वर।।
गिंपापंगिंदु:खंगिंदाररद्रय मेव च। आगित: सुख-संपनि पुण्योऽहं तव दर्शनात।।
शनि की साढ़े साती से बचाव का मंत्र
- ऊँत्रयम्बकं यजामहेसुगंनधम पुनिवधथिम । उवाथरुक नमव बन्धनान मृत्योमुथक्षीय मा मृतात।
- ॐ शन्नोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये। शंयोरनिश्रवन्तु:। ऊँ शंशिैश्चराय नमः।
- ऊँ नीलांजिसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम् । छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्।
शनि की साढ़ेसाती से बचने के उपाय
शनि की साढ़ेसती के कुप्रभाव से बचने के लिए शनिवार के दिन तिल और सबूत दाल का दान करना चाहिए. यह दान किसी गरीब ब्राह्मण और जरुरतमंद को देना चाहिए.
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