Shani Dev: वैदिक ज्योतिष में शनि को न्यायदाता ग्रह माना जाता है. यह कर्म कारक ग्रह माने जाते हैं. शनि ग्रह एक ऐसा ग्रह है, जो व्यक्ति को जीवन में अनुशासित रहना सिखाता है और न्याय प्रिय बनाता है. शनि की कृपा से व्यक्ति सीमा में रहकर काम करना सीखता है. शनि सबसे धीमी गति से चलने वाला ग्रह है इसलिए इसका गोचर महत्वपूर्ण माना जाता है. शनि का गोचर हर भाव में अलग-अलग प्रभाव देता है. जानते हैं कि सातवें भाव में शनि के गोचर का क्या फल मिलता है.
सातवें भाव में शनि गोचर का प्रभाव
शनि गोचर करता हुआ, जन्म राशि से जब सातवे भाव में आ जाए, तो वह खराब माना जाता है. इस भाव में आने पर शनि नौकरी- व्यवसाय में दिक्कत कराता है. इसकी वजह से व्यक्ति के मान -सम्मान को भी नुकसान पहुंचाता है. इस भाव में शनि के गोचर से कार्य-व्यापार की दृष्टि से अनिश्चितता का माहौल रहता है.
साझा व्यापार करने से भी भारी नुकसान का सामना करना पड़ता है. कार्यस्थल पर झगड़े-विवाद की संभावना बढ़ जाती है, इसलिए इससे बच के रहना चाहिए. कुंडली में शनि यदि सप्तम भाव हों, तो ऐसे जातक नौकरी छोड़कर अपने स्वयं के कारोबार में लग जाते हैं हालांकि शुरुआत में उन्हें असफलता का ही सामना करना पड़ता है.
वैवाहिक जीवन के लिए शुभ नहीं
इस भाव में शनि देव की स्थिति जातक को दांपत्य जीवन में कठिनाइयों का सामना करवाती है. ससुराल पक्ष से भी रिश्ते बहुत अच्छे नहीं रहते हैं. विवाह में भी विलंब होता है. इस भाव में शनि की मौजूदगी वैवाहिक जीवन के लिए शुभ नहीं होती है. सप्तम शनि दांपत्य जीवन में तनाव बढ़ाने का काम करते हैं.
आमतौर पर इनके जीवनसाथी जिद्दी, अनाकर्षक, कटुभाषी और कलह करने वाले होते हैं. इनका वैवाहिक जीवन हमेशा प्रभावित होता है. सप्तम भाव में शनि यदि नीच राशि में हो, तो व्यक्ति विचित्र रिश्तों में भी बंध जाता है. इसके अलावा समय-समय आर्थिक समस्याएं भी इन्हें परेशान करती हैं.
शनि के अशुभ प्रभाव से बचने के उपाय
शनि के कुछ उपाय करने से उसके अशुभ प्रभाव से बचा जा सकता है. शनिवार को शनि देव के साथ-साथ हनुमान जी की पूजा करने से भी वो शीघ्र प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों पर शुभ दृष्टि डालते हैं. हनुमान चालीसा को पढ़ने या सुनने से भी शनि देव का प्रकोप कम होता है. असहाय लोगों का अपमान करने या शोषण करने से शनि देव को बहुत नाराज होते हैं.
इसलिए ऐसा काम बिल्कुल भी ना करें. जरूरतमंदो की मदद करने से शनि का प्रकोप कम होता है. शनि चालीसा, शनि अष्टक व दशरथकृत शनि स्तुति का पाठ करने से शनि प्रसन्न होते हैं. पीपल की पूजा से भी शनि का दुष्प्रभाव कम होता है.
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