Shani Sade Sati: इन राशियों पर चल रही है शनि की साढ़ेसाती और शनि की ढैया, कहीं आप भी तो शामिल नहीं है, जानें
Shani Sade Sati Shani Dhaiya: शनि को ज्योतिष शास्त्र में एक क्रूर ग्रह माना गया है. शनि देव साढ़ेसाती और ढैया में व्यक्ति को परेशानी प्रदान करते हैं. किन राशियों पर शनि की दृष्टि है. जानते हैं.
Shani Sade Sati Shani Dhaiya: कार्तिक मास में शनिवार के दिन शनि देव की पूजा का विशेष महत्च है. कार्तिक मास में पूजा करने से शनि देव जल्द प्रसन्न होते हैं और अपनी अशुभता को दूर करते हैं. शनिवार का दिन शनि देव को ही समर्पित है. इन राशियों पर शनि देव की सीधी दृष्टि है. इसलिए शनिवार के दिन इन राशियों को विशेष ध्यान देना चाहिए.
शनि की साढ़ेसाती (shani sade sati)
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि की चाल बहुत ही धीमी बताई है. शनि देव एक राशि से दूसरी राशि में जाने में लगभग ढाई वर्ष का समय लेते हैं. यानि शनि देव एक राशि में लगभग ढाई साल तक रहते हैं. शनि का एक चक्र पूरा होने में करीब 30 साल का समय लगता है. शनि की साढ़े साती के तीन चरण होते हैं. एक चरण ढाई साल का माना गया है.
शनि की ढैया (shani ki dhaiya)
शनि जब किसी राशि में ढाई वर्ष के लिए आते हैं तो उस स्थिति को शनि की ढैया कहा जाता है. माना जाता है कि जब शनि की ढैया आरंभ होती है तो व्यक्ति को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. शनि देव धन, सेहत, करियर, जॉब और बिजनेस के साथ संबंधों को प्रभावित करते हैं.
शनि की साढ़ेसती और शनि की ढैया
वर्तमान समय में धनु, मकर और कुंभ राशि पर शनि की साढ़ेसाती चल रही है, वहीं मिथुन और तुला राशि पर शनि की ढैया चल रही है.
शनि के उपाय (shani ke upay)
शनि देव को ज्योतिष शास्त्र में न्याय करने वाला ग्रह माना गया है. शनि देव को कलियुग को न्यायाधीश भी कहा गया है. मान्यता है कि शनि देव व्यक्ति के अच्छे और बुरे कार्यों का फल प्रदान करते हैं. शनि देव शुभ फल भी प्रदान करते हैं. शनि देव अच्छे कार्यों को करने वालों को जीवन में शुभ फल भी प्रदान करते हैं. शनिवार के दिन इन उपायों को करके, शनि देव की कृपा प्राप्त की जा सकती है.-
- शनिवार को शनि मंदिर में शनि देव को सरसों का तेल चढ़ाएं.
- काली उड़द और अनाज का दान करने से भी शनि देव प्रसन्न होते हैं.
- शनिवार को शनि चालीसा और शनि मंत्रों का जाप शुभ फल प्रदान करता है.
शनि मंत्र (shani dev mantra) - ऊँ शं शनैश्चाराय नमः।