Shani Sade Sati: इन तीन चरणों में दिखता है शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव, मुश्किलों से भर जाता है जीवन
Shani Sade Sati Impact: कुंंडली में साढ़ेसाती हो तो व्यक्ति को बहुत उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ता है. इससे व्यक्ति लंबे समय तक मुश्किलों से घिरा रहता है. शनि की साढ़ेसाती के 3 चरण होते हैं.
Shani Dev: ज्योतिष शास्त्र में शनि देव को कलयुग का न्यायधीश और कर्मफल दाता कहा जाता है. शनि की कृपा से व्यक्ति जीवन में खूब तरक्की करता है. वहीं शनि की अशुभ स्थिति कई कठिन परिस्थितियां बना देती है. खासतौर से शनि की साढ़ेसाती हो तो जीवन में हर मोर्चे पर परेशानियों का सामना करना पड़ता है. साढ़ेसाती हो तो व्यक्ति लंबे समय तक परेशान रहता है. जानते हैं कि शनि की साढ़ेसाती कब शुरू होती है और इसके कितने चरण होते हैं.
कब शुरू होती है शनि की साढ़ेसाती
जब कुंडली में शनि बारहवें, पहले, दूसरे भाव में हो या फिर जन्म के समय में अगर शनि चंद्रमा के ऊपर से होते हुए निकल जाएं तो उसे शनि की साढ़ेसाती कहा जाता है. शनि की साढ़ेसाती को आमतौर पर शुभ नहीं माना जाता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि की साढ़ेसाती में व्यक्ति को उसके कर्म के अनुसार फल प्राप्त होता है. शनि साढ़ेसाती को ढाई-ढाई साल के तीन चरणों में बांटा गया है.
शनि की साढ़ेसाती के चरण
प्रथम चरण
साढ़ेसाती के पहले ढाई वर्ष को शनि की साढ़ेसाती का सबसे पहला चरण माना जाता है. इस दौरान शनि जातकों के मस्तक पर सवार रहते हैं. साढ़ेसाती के पहले चरण में जातकों को तमाम आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. वैवाहिक जीवन में पर इसका प्रभाव देखने को मिलता है. साढ़ेसाती के पहले चरण में व्यक्ति आर्थिक और मानसिक रूप से परेशान रहता है.
दूसरा चरण
दूसरे चरण में शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव जातकों के कार्यक्षेत्र और परिवार पर पड़ता है. व्यक्ति को परिवार में कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. दूसरे चरण में व्यक्ति को परिवार से दूर रहना पड़ता है. कभी-कभी लंबी दूरी की यात्राएं भी करनी पड़ती हैं. इसके साथ ही दूसरे चरण में जातकों को कई शारीरिक कष्ट भी भोगने पड़के हैं. इस अवधि में किसी भी काम को करने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है.
तीसरा चरण
शनि की साढ़ेसाती का तीसरे चरण जातकों के भौतिक सुख सुविधाओं में कमी करता है. इस दौरान आपको कमाई से ज्यादा खर्च करना पड़ सकता है. तीसरे चरण में जातक कई विवादों में भी पड़ जाते हैं. साढ़ेसाती के तीसरे और आखिरी चरण में जातकों को आर्थिक जीवन में संघर्ष का सामना करना पड़ सकता है. कई बार खर्चों में भी बहुत अधिक वृद्धि देखने को मिलती है.
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