Shani Dev: आषाढ़ी शनिवार को शनि देव की पूजा का बन रहा है विशेष योग, जानें शुभ मुहूर्त और राहु काल
Shani Dev: मकर राशि (Capricorn) में शनि देव वक्री (Shani Vakri 2021) होकर गोचर कर रहे हैं. पंचांग (Panchang) के अनुसार 17 जुलाई 2021, शनिवार को शनि देव को प्रसन्न करने का विशेष योग बन रहा है.
Mahima Shani Dev Ki : पंचांग के अनुसार 17 जुलाई 2021, शनिवार को आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि है. इस दिन शनि देव मकर राशि में विराजमान हैं. शनि देव इस समय वक्री अवस्था में है. शनि वक्री होने पर कमजोर माने जाते हैं. क्योंकि वक्री अवस्था को शनि की उल्टी चाल भी कहा जाता है. ऐसा माना जाता है कि शनि जब उल्टी चाल चलते हैं, तो उन्हें बहुत पीड़ा होती है. इसलिए वक्री शनि को अच्छा नहीं माना जाता है.
शनि का प्रभाव
ज्योतिष शास्त्र में शनि देव को बहुत महत्वपूर्ण ग्रह माना गया है. शनि को न्याय का कारक कहा गया है. शनि जब अशुभ होते हैं तो व्यक्ति की जीवन में भारी उथल-पुथल की स्थिति पैदा कर देते हैं. व्यक्ति को शिक्षा, जॉब, करियर, बिजनेस, दांपत्य जीवन, लव रिलेशनशिप और धन के मामले में बहुत बाधाएं और परेशानियां प्रदान करते हैं. व्यक्ति का जीवन दुख और कष्ट से भर जाता है.
शनि की साढ़ेसाती और शनि ढैय्या
शनि देव साढ़ेसाती और ढैय्या के दौरान सबसे ज्यादा प्रभावित करते हैं. इसके साथ जन्म कुंडली में जब शनि की दशा चल रही होती है तो भी शनि व्यक्ति के जीवन को प्रभावित करते हैं. इस समय इन 5 राशियों पर शनि की दृष्टि है-
- मिथुन राशि
- तुला राशि
- धनु राशि
- मकर राशि
- कुंभ राशि
शनि की दृष्टि
मिथुन राशि और तुला राशि पर शनि की ढैय्या और धनु, मकर और कुंभ राशि पर शनि की साढ़ेसाती चल रही है.
शनिवार को शनि देव की पूजा
पंचांग के अनुसार 17 जुलाई शनिवार को शनि देव की पूजा का विशेष योग बना हुआ है. इस दिन शिव और सिद्धि योग बना हुआ है. शनि देव शिव के उपासक हैं. शनि देव की पूजा करने से शनि के शुभ फल प्राप्त होते हैं. वहीं सिद्धि योग में पूजा करने से शनि की अशुभता को दूर करने में मदद मिलेगी.
- शिव योग मुहूर्त- 17 जुलाई शनिवार को प्रात: 07 बजकर 22 मिनट तक.
- सिद्धि योग मुर्हूत- 17 जुलाई शनिवार को शिव योग के समाप्त होने के बाद सिद्धि योग आरंभ होगा.
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राहु काल- 09:00:25 से 10:43:44 तक (17 जुलाई 2021)
शनि के उपाय
शनिवार के दिन शनि मंदिर में शनि से जुड़ी चीजों का दान और शनि चालीसा तथा शनि मंत्र का जाप करना चाहिए.