Shani Vrat: शनि के प्रकोप से बचाता है शनिवार का व्रत, जानें विधि और महत्व
Shani Dev Vrat: शनि दोष से छुटकारा पाने के लिए शनिवार का व्रत करना बहुत लाभकारी है. इस दिन व्रत रखने से शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या के कष्टों से मुक्ति मिलती है. यह व्रत सुख-समृद्धि लाता है.
Shani Dev Puja: शनि देव को ज्योतिष शास्त्र में धर्म और ज्योतिष में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. शनि को काल और न्याय का देवता माना जाता है. शनिवार का दिन शनि को समर्पित होता है. शनि देव हर व्यक्ति को उसके कर्मों के हिसाब से फल देते हैं, इसलिए उन्हें कर्मफलदाता भी कहा जाता है.
शनि को प्रसन्न करने के लिए लोग उनकी पूजा, व्रत और उपासना करते हैं. शनि की साढ़ेसाती और शनि दोष से मुक्ति के लिए शनिवार का व्रत रखना और पूरे विधी से पूजा-पाठ करना उत्तम माना जाता है. जानते हैं शनिवार के दिन शनि पूजा के लाभ के बारे में.
शनिवार व्रत का महत्व
शनि दोष से मुक्ति पाने के लिए शनिवार का व्रत करना बेहद लाभकारी माना गया है. माना गया है कि शनिवार का व्रत रखने से शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या के कष्टों से मुक्ति मिलती है. इस दिन व्रत करने से नौकरी और व्यापार में सफलता मिलती है. यह व्रत करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और मान-सम्मान बना रहता है.
शनिवार के व्रत व्यक्ति का जीवन रोग मुक्त होता है और आयु में वृद्धि होती है. शनिवार का व्रत कठिन परिश्रम, अनुशासन और निर्णय लेने की क्षमता बढ़ाता है. माना जाता है कि पूरी श्रद्धा के साथ शनि देव का व्रत रखने और उनकी आराधना करने से व्यक्ति के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं. शनिवार का व्रत करने शनि की साढ़ेसाती, महादशा और शनि दोष के नकारात्मक प्रभावों से मुक्ति मिलती है.
शनिवार की व्रत विधि
शनिवार व्रत की शुरुआत किसी भी शुक्ल पक्ष के शनिवार से करनी चाहिए. सुबह जल्दी उठकर नित्यकर्म और स्नानादि से निवृत्त होने के बाद इस दिन व्रत का संकल्प लें. इसके बाद शनिदेव की प्रतिमा या शनि यंत्र को रखें. प्रतिमा स्थापित करने के बाद भगवान शनिदेव को पंचामृत से स्नान करवाएं. शनिदेव की प्रतिमा को चावलों से बनाए 24 दल के कमल पर स्थापित करें.
इसके बाद शनिदेव को काला वस्त्र, काला तिल, सरसों का तेल, धूप, दीप आदि अर्पित करें. शनिदेव के सामने सरसों के तेल का दीपक जलाएं. शनिदेव को मीठी पूड़ी और काले उदड़ दाल की खिचड़ी का भोग लगाएं. अब शनिदेव की कथा का पाठ करें और उनके मंत्रों का जाप करें. अंत में आरती करें और शनिदेव से अपनी गलतियों की क्षमायाचना करें.
शनिदेव की पूजा के बाद पीपल के पेड़ को जल दें. पीपल के नीचे सरसों के तेल का दीपक रखें और सात बार इसकी परिक्रमा करें. शनिवार को दिन भर मन में शनिदेव के नाम का स्मरण करना चाहिए. शनि की पूजा के बाद किसी गरीब को भोजन कराएं और दक्षिणा देकर विदा करें. इस दिन काले कुत्ते को भोजन कराना चाहिए. शाम के समय व्रत का पारण करें. शनिवार व्रत का पारण काली उड़द की दाल और खिचड़ी से करना चाहिए.
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