Shani Dev, Mahima Shani Dev Ki: शनिदेव की पूजा का सावन के मास में विशेष संयोग बन रहा है. सावन में पूजा और दान देने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं. जिन लोगों की जन्म कुंडली में शनि अशुभ हैं या फिर शनि की साढ़ेसाती और शनि की ढैय्या की स्थिति बनी हुई है, उन्हें भी लाभ प्राप्त होता है.
शनि देव भगवान शिव के भक्त हैं
भगवान शिव की शनिदेव ने तपस्या की थी. शनिदेव भगवान शिव के भक्त हैं. भगवान शिव ने ही शनिदेव को नवग्रहों में न्यायाधीश की उपाधि प्रदान की है. शनि की दृष्टि से कोई नहीं बच सकता है. मान्यता है कि शनिदेव को वरदान प्राप्त है कि उनकी दृष्टि से देवता भी नहीं बच सकते हैं. यही कारण है कि शनि अपनी दृष्टि हमेशा नीचे रखते हैं.
सावन का पहला शनिवार
सावन मास का आरंभ हो चुका है. सावन का पहला सोमवार 26 जुलाई को पड़ रहा है. सावन मास के सोमवार में भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है. सावन में भगवान शिव की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. पंचांग के अनुसार सावन का पहला शनिवार 31 जुलाई 2021 को पड़ रहा है.
31 जुलाई का पंचांग
पंचांग के अनुसार 31 जुलाई को श्रावण मास की कृष्ण पक्ष की सप्तमी की तिथि है. जो प्रात: 05 बजकर 43 पर समाप्त होगी इसके बाद अष्टमी की तिथि प्रारंभ होगी. इस दिन अश्विनी नक्षत्र और चंद्रमा मेष राशि में रहेगा. इस दिन शूल योग बना हुआ है.
शनि की साढ़ेसाती और शनि की ढैय्या
मिथुन राशि और तुला राशि पर शनि की ढैय्या और धनु, मकर और कुंभ राशि पर शनि की साढ़ेसाती चल रही है. सावन के पहले शनिवार को शनि देव की पूजा करने से इन राशि वालों को लाभ प्राप्त होगा.
शनि की पूजा
शनिवार के दिन शनि मंदिर में शनि देव की पूजा करें. इस दौरान शनि की वस्तुओं को अर्पित करें. इस दिन सरसों का तेल और काले तिल चढ़ाने से शनि देव शांत होते हैं. इसके साथ ही शनि चालीसा और शनि मंत्रों का जाप करना चाहिए. इस दिन गलत कार्यों को करने से बचना चाहिए. क्रोध और अहंकार का त्याग करना चाहिए.