Shani Dev Puja: कुंडली में शनि अगर खराब अवस्था में हों तो व्यक्ति को जीवन में बहुत संघर्षों से गुजरना पड़ता है. सफलता के लिए उसे कठिन मेहनत करनी पड़ती है. आमतौर पर शनि का नाम सुनते ही लोग घबरा जाते हैं. शास्त्रों में शनि को दण्डकारी ग्रह माना गया है लेकिन शनि देव को न्याय का देवता माना जाता है. वो लोगों को उसके कर्मानुसार फल या दण्ड देते हैं.
शनि राजा को रंक और रंक को राजा बना सकते हैं. जब शनि की साढ़ेसाती होती हे तो ये शनि हमें बहुत कुछ सिखाकर जाते हैं. शनि को प्रसन्न करने के लिए अच्छे कर्म करना जरूरी होता है. वैसे तो शनि कर्मों के अनुसार दण्ड देते हैं लेकिन ये हर किसी को बुरे फल नहीं देते हैं. जानते हैं कि कुंडली में शनि कब शुभ तो कब अशुभ फल देते हैं.
मेष (Aries)
मेष लग्न में शनि दशमेश या लाभेश होने के कारण विशेष शुभ फलदायी होते हैं.
वृषभ (Taurus)
वृषभ लग्न में शनि नवमेश और दशमेश होने के कारण अति शुभ फलदायी होते हैं.
मिथुन (Gemini)
मिथुन लग्न में शनि अष्टमेश व नवमेश होने के कारण मिश्रित फल देते हैं.
कर्क (Cancer)
कर्क लग्न में शनि सप्तमेश और अष्टमेश होने के कारण अशुभ फल देते हैं.
सिंह (Leo)
सिंह राशि में शनि षष्ठेश या सप्तेश होने के कारण अशुभ फल देते हैं.
कन्या (Virgo)
कन्या लग्न में शनि पंचमेश और षष्ठेश होने के कारण मिश्रित फल देते हैं.
तुला (Libra)
तुला लग्न में शनि चतुर्थेश व पंचमेश होने के कारण शुभ फलदायक होते हैं.
वृश्चिक (Scorpio)
वृश्चिक लग्न में शनि तृतीयेश व चतुर्थेश होने के कारण शुभ फल देते हैं.
धनु (Sagittarius)
धनु लग्न में शनि द्वितीय व तृतीयेश होने के कारण मिश्रित फल देता है.
मकर (Capricorn)
शनि मकर राशि का स्वामी होता है. यहां शनि लग्न व द्वितीयेश होने के कारण हमेशा शुभ फल ही देता है.
कुंभ (Aquarius)
कुंभ लग्न में शनि लग्नेश व द्वादशेश होने के कारण मिश्रित फलदायक होते हैं.
मीन (Pisces)
मीन लग्न में शनि लाभेश व द्वादशेश होने के कारण मिश्रित फल देते हैं.
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