Ratan Tata Kundli: रतन टाटा की कुंडली में ऐसा कौन सा योग था जिससे बन गए इतने अमीर
Ratan Tata Kundli: 1937 में मुंबई में जन्मे उद्योगपति रतन टाटा पंचतत्व में विलीन हो चुके हैं. उनका कहना था कि जीवन में उतार-चढ़ाव जरूरी है, क्योंकि ECG की सीधी रेखा का अर्थ यह है कि हम जिंदा नहीं है.
Ratan Tata Kundli: रतन टाटा देश के सफल कारोबारी और कुशल उद्यमी थे. इससे भी बढ़कर वे एक नेक इंसान भी थे, जो भारत को मजबूत देखना चाहते थे. रतन टाटा सादगी और शालीनता की मिसाल थे. बुधवार 9 अक्टूबर 2024 को रात करीब 11:30 बजे मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में रतन टाटा का निधन हो गया. रतन टाटा की मृत्यु के बाद देशभर में शोक की लहर है.
रतन टाटा पंचतत्व में विलीन हो चुके हैं. रतन टाटा ने तमाम इंटरव्यू में अपने जीवन से जुड़ी कई बातें साझा कीं. फिर भी उनके जाने के बाद ऐसा लगता है कि उनके भीतर कुछ दबा-छिपा सा था, जो शेष रह गया.
रतन टाटा ने अपने जीवन में खूब सफलता हासिल की. टाटा ग्रुप को वे ऊंचाईयों पर ले गए. साथ ही अपने सरल स्वाभाव और व्यवहार से उन्होंने हर किसी के दिल में जगह बनाई. लेकिन लोगों के मन में एक बात हमेशा रही कि आखिर इतने सफल होने के बाद भी उन्होंने विवाह क्यों नहीं किया.
इंटरनेट पर मौजूद रतन टाटा की कुंडली में कई शुभ योग थे, जिस कारण वे एक सफल उद्योगपति बनें. लेकिन कुछ ग्रहों के ऐसे भी योग थे जिस कारण उनका विवाह नहीं हो पाया. यही कारण है कि वे शादी के बंधन में नहीं बंध पाए.
रतन टाटा की कुंडली (Ratan tata kundli)
प्राप्त जानकारी के अनुसार, रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को मुबंई में सुबह 06:30 बजे हुआ था. इस तरह से उनकी जन्म कुंडली धनु लग्न और तुला राशि की है. लग्न में सूर्य, बुध और शुक्र बहुत शुभ स्थिति में बैठे हैं. वहीं गुरु धन में और मंगल तीसरे भाव में हैं. शनि की स्थिति चतुर्थ भाव, चंद्रमा एकादश और राहु-केतु बारहवें व छवे भाव में रहकर अच्छा समीकरण बनाते हैं.
रतन टाटा के जीवन में रही इन ग्रहों की महादशा
रतन टाटा का जन्म गुरु की महादशा का है |
19 वर्ष की शनि की महादशा |
17 वर्ष की बुध की महादशा |
7 वर्ष की केतु की महादशा |
20 वर्ष की शुक्र की महादशा |
6 साल की सूर्य की महादशा |
वर्तमान में रतन टाटा की कुंडली में चंद्रमा की महादशा चल रही थी, जोकि 15 अप्रैल 2025 तक थी. |
रतन टाटा की लग्न कुंडली में बुधादित्य योग
ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास के अनुसार रतन टाटा की लग्न कुंडली में बुधादित्य योग था. ज्योतिष में इसे पारस पत्थर जैसे योग की संज्ञा दी जाती है. इस योग के स्वामी अगर मिट्टी को भी छू दे तो वह पत्थर बन जाता ही. यानी वह जिस काम को हाथ लगाता है, उसमें दोगुनी सफलता मिलती है.
प्रेम हुआ फिर क्यों नहीं बने विवाह के योग?
ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास बताते हैं कि, रतन टाटा की कुंडली में वैवाहिक जीवन (Married Life) के स्वामी बुध पर शनि की वक्र दृष्टि (Shani Vakri) पड़ने के कारण विवाह के योग नहीं बने. वहीं कुंडली के सातवें भाव पर सूर्य की दृष्टि भी रही. ग्रहों की ऐसी स्थिति को ज्योतिष में विच्छेद या अलगाव करने वाला माना जाता है.
ग्रहों की ऐसी स्थिति में यदि विवाह हो भी जाता तो किसी न किसी कारण विवाह टूट जाता या तलाक जैसी स्थिति उत्पन्न बन जाती. नवमांश कुंडली के सातवें घर पर शनि की वक्र दृष्टि होने और इसी भाव में शुक्र पर मंगल की दृष्टि होने के कारण रतन टाटा जी का विवाह नहीं हुआ.
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