Shani Jayanti 2023 Kab Hai : 'निलाज्नन समामासं रवि पुत्रम् यमाग्रजम छाया मार्तण्ड सम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्' शनि देव मंदगति या कहें धीरे चलने वाले ग्रह है. शनि देव का शरीर नीला है ,जो यम के अग्रज है, देवी छाया और ग्रह राज सूर्य के पुत्र है. ऐसे शनि देव को हम प्रणाम करते है.


चाहे कोई देवी-देवता हो या दानव या मानव हर किसी को उनके कर्मों के अनुसार ही अपने कर्मों का फल मिलता है. शनि देव तीनों लोकों के न्यायाधिपति है और ग्रहों में सबसे बड़े हैं शनिदेव. इनके न्याय से और इनकी दृष्टि से ना अहंकारी दानव रावण बचा, न देवताओं के राजा इन्द्र और ना ही देवों के देव महादेव और न ही जगत जननी माता सती. 



शनि धीमी गति वाले ग्रह हैं और अपनी तीसरी, दशमी और सातवीं दृष्टियों से शुभता और कोप दोनों ही बरसाते हैं. शनि देव हर राशि में ढ़ाई साल तक रहते हैं. मेष से लेकर मीन तक की 12 में से पांच राशियों पर तो इनकी साढे़साती या ढैय्या का प्रभाव हमेशा ही बना रहता है. शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए कुछ अलग नहीं करना होता है. शनि देव लोगों को उनके कर्मों के अनुसार रंक बना सकते हैं और राजा भी. शनि देव सूर्य पुत्र, वहीं इन्हें सूर्य के प्रति शत्रुता के रूप में भी देखा जाता है. 


ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि को ही सूर्य देव और छाया की संतान के रूप में शनि का जन्म हुआ. इस बार ज्येष्ठ माह की अमावस्या शनि जन्मोत्सव 19 मई, 2023 शुक्रवार को है. खास यह है कि इस बार शनि जन्मोत्सव पिता सूर्यदेव के कृतिका नक्षत्र और वट सावित्री व्रत एक ही दिन पड़ रहा है. इस प्रकार यह दिन शनि पीड़ा से मुक्ति के साथ ही सुख समृद्धि और वैभव को प्राप्त करने वाला सिद्ध होगा. अगर किसी भी व्यक्ति की कुंडली में शनि पीड़ित है अथवा शनि की महादशा, साढ़े साती और शनि की ढैय्या का प्रभाव है तो शनि जन्मोत्सव पर विशेष उपाय कर कष्टों से छुटकारा पाया जा सकता है. इस वर्ष शनि जन्मोत्सव पर कई शुभ योग बन रहे हैं, जिससे इस दिन का महत्व और भी बढ़ जाता है, ऐसे में जिन जातकों पर शनि का प्रकोप चल रहा है, वे इस दिन का फायदा उठाते हुए शनिदेव की विशेष पूजा अर्चना करें.


शनि जयंती शुभ मुहूर्त 
ज्येष्ठ मास की अमावस्या प्रारंभ तिथि 18 मई 2023 रात 9:43 से दूसरे दिन यानि 19 मई रात 9:23 तक रहेगी. उदयातिथि के अनुसार शनि जन्मोत्सव 19 मई को ही रहेगा. इस दिन शोभन योग, बुधादित्य योग, वाशी योग, सुनफा योग बन रहे है.


इसी प्रकार वट सावित्री व्रत के दिन बरगद की पूजा का महत्व है. इस दिन पतिव्रता महिलाएं पति की लंबी आयु और स्वास्थ्य के लिए व्रत रखकर बरगद की पूजा करें. बरगद पूजा भी शनि एवं मंगल जैसे क्रूर ग्रहों की प्रतिकूलता को कम करती हैं.  


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