Shani Mangal Yog: वैदिक ज्योतिष में ग्रहों के गोचर को विशेष महत्व दिया जाता है. ग्रहों के सेनापति मंगल 01 जुलाई 2023 को रात 01:52 मिनट पर सिंह राशि में गोचर करेंगे. जुलाई में मंगल का राशि परिवर्तन कई राशियों के लिए परेशानी भरा हो सकता है. दरअसल मंगल को अग्नि का कारक कहा जाता है. इसके अलावा वह सिंह राशि में जा रहे हैं, जो अग्नि तत्व राशि है.
सिंह राशि मंगल के लिए अनुकूल मानी जाती है और यहां मंगल शुभ प्रभाव देते हैं लेकिन इस राशि में मंगल देव, शनि के साथ समसप्तक योग बना रहे हैं. ज्योतिषाचार्य डॉक्टर अनीष व्यास ने बताया कि 1 जुलाई से गोचर में एक विशेष प्रकार का संयोग बन रहा है जो दशकों बाद होता है. इस समय शनि देव अपनी मूल त्रिकोण राशि कुम्भ में बलवान होकर विराजमान है और 17 जून से वो वक्री भी हो गए हैं.
देश के लिए शुभ नहीं समसप्तक योग
1 जुलाई से 16 अगस्त तक का यह समय मंगल और राहु पर शनि की दृष्टि का होगा जिसके कारण ना सिर्फ धार्मिक उन्माद फैल सकता है बल्कि देश में अत्यधिक वर्षा भी देखने को मिल सकती है. मंगल शनि का यह समसप्तक योग पहाड़ों पर भूस्खलन और भूकंप के भी योग बनाएगा.
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि वैदिक ज्योतिष में शनि, मंगल और राहु को पाप ग्रह कहा गया है और गुरु को न्यायपालिका का कारक माना गया है. शनि भले ही एक पाप ग्रह है लेकिन न्याय कारक ग्रह भी है. 1 जुलाई से गोचर में एक विशेष प्रकार का संयोग बन रहा है जो दशकों बाद होता है.
इस समय शनि देव अपनी मूल त्रिकोण राशि कुम्भ में बलवान होकर विराजमान है और 17 जून से वो वक्री भी हो गए हैं. दूसरी ओर शनि के शत्रु मंगल अग्नि तत्व राशि सिंह में 1 जुलाई को प्रवेश करेंगे. इस कारण शनि मंगल का समसप्तक योग बनेगा. सिंह और कुम्भ राशि भी शत्रु राशि है ऐसे में यह योग देश के लिए शुभ नहीं होगा.
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि एक दूसरा विशेष योग गुरु राहु से बना हुआ है. इस समय राहु गुरु को पीड़ित कर रहा है और शनि की मेष राशि पर नीच की दृष्टि है. ज्योतिष में गुरु अदालत का कारक है ऐसे में इस समय शीर्ष अदालत किसी ऐसे मुद्दे पर अपना रुख साफ कर सकती है जिससे देश की जनता सीधे प्रभावित होगी. चूंकि, राहु धार्मिक उन्माद का कारक है ऐसे में जनता किसी गलतफहमी का शिकार होकर किसी बड़ी हिंसा को जन्म दे सकती है.
क्या होता है समसप्तक योग
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि जब भी कोई दो ग्रह एक दूसरे से सातवें स्थान पर होते हैं, तब उन ग्रहों के बीच समसप्तक योग बन जाता है. दूसरे शब्दों में कहें तो जब ग्रह आपस में अपनी सातवीं पूर्ण दृष्टि से एक-दूसरे को देखते हैं तब समसप्तक योग बनता है. जब मंगल सिंह राशि में गोचर करेंगे, तो उस समय शनि कुंभ राशि में होंगे. ये दोनों राशियां एक दूसरे सातवें स्थान में हैं.
समसप्तक वैसे तो एक शुभ योग होता है, लेकिन शुभ-अशुभ ग्रहों की युति के कारण इसके फल में भी बदलाव आता है. यहां शनि और मंगल, दोनों को पापी ग्रह माना जाता है. इसके अलावा दोनों की एक-दूसरे पर पूर्ण दृष्टि होगी. मंगल अग्नि तत्व राशि में होने के कारण और ज्यादा उग्र होंगे, वहीं शनि वक्री अवस्था में अपनी स्वराशि में बली अवस्था में हैं. ऐसे में कई राशियों को इसके अशुभ परिणाम देखने को मिल सकते हैं.
सेनानायक कहलाते हैं मंगल देव
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि वैदिक ज्योतिष में मंगल को सेनानायक कहा जाता है. मंगल देव को उग्र ग्रह माना जाता है. यदि किसी जातक की कुंडली में मंगल देव अपनी मूल त्रिकोण राशि मेष में विराजमान हो, तो शुभ परिणामों की प्राप्ति होती हैं.
वहीं दूसरी ओर यदि मंगल देव अपने स्वामित्व वाली राशि मेष या वृश्चिक में बैठे हो तो जातकों के लिए अत्यधिक लाभकारी साबित होते हैं. जिन जातकों का मंगल ग्रह मजबूत स्थिति में होता है वे लोग प्रशासन से जुड़े कार्यों का प्रतिनिधित्व करते हैं.
शुभ-अशुभ प्रभाव
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि इस योग से प्राकृतिक आपदा के साथ अग्नि कांड भूकंप गैस दुर्घटना वायुयान दुर्घटना होने की संभावना है. देश में अत्यधिक वर्षा भी देखने को मिल सकती है. मंगल शनि का यह समसप्तक योग पहाड़ों पर भूस्खलन और भूकंप के भी योग बनाएगा. राजनीतिक अस्थिरता यानि राजनीतिक माहौल उच्च होगा. सीमा पर तनाव शुरू हो जायेगा.
दुर्घटनाएं आगजनी आतंक और तनाव होने की संभावना है. आंदोलन, हिंसा, धरना प्रदर्शन हड़ताल, बैंक घोटाला, वायुयान दुर्घटना, विमान में खराबी, उपद्रव और आगजनी की स्थितियां बन सकती है. राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप ज्यादा होंगे. सत्ता संगठन में बदलाव होंगे. मनोरंजन फिल्म खेलकूद एवं गायन क्षेत्र से बुरी खबर मिलेगी. बड़े नेताओं का दुखद समाचार मिलने की संभावना. महत्वपूर्ण पद वालों को सुरक्षा और सेहत का खासतौर से ध्यान रखना होगा. अस्थिरता बढ़ सकती है.
करें पूजा-पाठ और दान
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि इस योग के दुष्प्रभावों से बचने के लिए हनुमानजी की पूजा करनी चाहिए. लाल चंदन या सिंदूर का तिलक लगाना चाहिए. तांबे के बर्तन में गेहूं रखकर दान करने चाहिए. लाल कपड़ों का दान करें. मसूर की दाल का दान करें. शहद खाकर घर से निकलें. हं हनुमते नमः, ऊॅ नमः शिवाय, हं पवननंदनाय स्वाहा का जाप करें. हनुमान चालीसा का पाठ अवश्य करें. मंगलवार को बंदरों को गुड़ और चने खिलाएं. शिव उपासना करें.
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