Shani Margi 2022, Shani Sadhesati Upay: पंचांग के अनुसार, शनि देव मकर राशि में वक्री है. वे 5 जून को मकर राशि में वक्री हुए थे. अब 23 अक्टूबर को शनि देव मकर राशि में मार्गी होने जा रहें हैं. अर्थात 23 अक्टूबर से शनि देव सीधी चाल से चलेंगे. शनि के मकर राशि में संचार करने से कुंभ, धनु व मकर राशि वालों पर शनि की साढ़ेसाती का जबकि मिथुन और तुला राशि वालों पर शनि ढैय्या का प्रभाव है. इसके बाद शनि 23 अक्टूबर को मार्गी होंगे और फिर 17 जनवरी 2023 को मकर से निकलकर स्वराशि कुंभ में प्रवेश करेंगे.


जिन राशियों पर शनि की साढ़ेसाती और शनि की ढैय्या चल रही है. उन राशियों को इस समय विशेष सावधान रहने की आवश्यकता है. इन्हें शनि देव की रोज पूजा-अर्चना करनी चाहिए. इससे शनि देव के अशुभ प्रभाव कम होंगे. शनि देव को प्रसन्न करने का सबसे आसान और सिद्ध उपाय है रोजाना दशरथ कृत शनि स्तोत्र का पाठ करना. धर्म शास्त्रों में कहा गया है कि  राजा दशरथ ने शनि देव को प्रसन्न करने के लिए इस स्तोत्र की रचना की थी और इसका पाठ किया था. इससे शनि देव अति प्रसन्न हुए थे.


राजा दशरथ कृत शनि स्तोत्र


नम: कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठनिभाय च।


नम: कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नम: ।।


 


नमो निर्मांस देहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च।


नमो विशालनेत्राय शुष्कोदर भयाकृते।।


 


नम: पुष्कलगात्राय स्थूलरोम्णेऽथ  वै नम:।


नमो दीर्घायशुष्काय कालदष्ट्र नमोऽस्तुते।।


 


नमस्ते कोटराक्षाय दुर्निरीक्ष्याय वै नम:।


नमो घोराय रौद्राय भीषणाय कपालिने।।


 


नमस्ते सर्वभक्षाय वलीमुखायनमोऽस्तुते।


सूर्यपुत्र नमस्तेऽस्तु भास्करे भयदाय च।।


 


अधोदृष्टे: नमस्तेऽस्तु संवर्तक नमोऽस्तुते।


नमो मन्दगते तुभ्यं निरिस्त्रणाय नमोऽस्तुते।।


 


तपसा दग्धदेहाय नित्यं  योगरताय च।


नमो नित्यं क्षुधार्ताय अतृप्ताय च वै नम:।।


 


ज्ञानचक्षुर्नमस्तेऽस्तु कश्यपात्मज सूनवे।


तुष्टो ददासि वै राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात्।।


 


देवासुरमनुष्याश्च  सिद्घविद्याधरोरगा:।


त्वया विलोकिता: सर्वे नाशंयान्ति समूलत:।।


 


प्रसाद कुरु  मे  देव  वाराहोऽहमुपागत।


एवं स्तुतस्तद  सौरिग्र्रहराजो महाबल:।।



 


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