Shani Dev: भले ही संकट शनि कहें या कंटक शनि, प्रहारक शनि कहें या विनाशक शनि, कष्ट निवारक शनि कहें या रक्षक शनि, धर्मप्रिय शनि कहें या सेवाप्रिय शनि, इससे उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता पर इतना जरूर जान लें कि इस बार वह वर्ष 2023 से लेकर मार्च 2025 तक शनि देव अच्छे मूड में नहीं हैं.


शनि नक्षत्र परिवर्तन 2023 (Shani Nakshatra Parivartan 2023)
रविवार 5 मार्च को अश्लेषा नक्षत्र के रहते फाल्गुनी कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को पूर्व में उदित होकर गतिशील होने के बाद अब शनिवार 17 जून को रोहिणी नक्षत्र के होते आषाढ़ कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को 22,57 पर कुंभ राशि में वक्री हो जाएंगे. रविवार 15 अक्टूबर आश्विन कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा नवरात्रा प्रारंभ के पहले दिन घनिष्ठा नक्षत्र के चौथे चरण में प्रवेश करेंगे. बाद में शनिवार 4 नवम्बर कार्तिक कृष्ण पक्ष की सप्तमी को पुनर्वसु नक्षत्र में होते मार्गी हो जाएंगे. फिर शुक्रवार 24 नवम्बर कार्तिक शुक्ल पक्ष की गरूड़ द्वादशी को पुनः शतभिषा नक्षत्र में प्रवेश करेंगे.



जुलाई-सितंबर में शनि दे सकते हैं बुरे फल! (Astrology Predictions July - September)
मंगलवार 4 जुलाई को प्रथम श्रावण कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से गुरुवार 31 अगस्त को द्वितीय श्रावण पक्ष को खण्डित होती पूर्णिमा तक दोनों श्रावण-अधिकमास सहित शनि के वक्रत्व काल में ही है. इसी बीच शनि मित्र शुक्र भी रविवार 23 जुलाई प्रथम श्रावण शुक्ल की पंचमी को सिंह राशि में रहते 7.1 पर वक्री हो जाएंगे जो सोमवार 4 सितम्बर को कर्क राशि में रहते मार्गी होंगे यानी एक ओर देवाधिदेव श्री शिवप्रिय श्रावण में बाधा तो दूसरी और शनि तथा शुक्र की वक्रत्व स्थिति-इसे शुभ योग, अनुकूल समय नहीं माना जा रहा. इस संबंध में कुछ मतान्तर भी है.


शनि प्रदोष कब? (Shani Pradosh Vrat 2023)
इस बार शुक्रवार 19 मई को शनिदेव की जयन्ती के अलावा शनिवार 21 दिसम्बर तथा शनिवार 14 अक्टूबर को शनि अमावस्या है तो शनिवार 18 फरवरी, शनिवार 15 जुलाई, शनिवार 11 नवम्बर को कुल तीन शनि प्रदोष व्रत है. 


शनि कौन हैं (Mahima Shani Dev ki)
कर्त्तव्य पथ पर, न्याय के लिए, निष्पक्ष रहते अपने-पराए तथा क्षुद्र, विराट के अंतर की उपेक्षा करते हुए निर्भयता पूर्वक अपने कर्त्तव्य तथा उतरदायित्व को वहन करना शनि की विशेषता है. कृतज्ञता का प्रमाण यह कि लंका दहन के अवसर पर ही पवन पुत्र श्री हनुमान द्वारा मुक्त किए जाने के उपकारवश शनि श्रीशिव के बाद हनुमान के ही सामने झुकते हैं. इसी कृतज्ञता ज्ञापन के तहत् शनिवार को हनुमान की उपासना करने वालों को शनि देव अभय प्रदान करते हैं.


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