Shani Rahu Yuti in Hindi, Astrology : ज्योतिष शास्त्र में शनि और राहु को बहुत ही महत्वपूर्ण ग्रह माना गया है. शनि को कर्मफलदाता कहा गया है. यनि शनि एक ऐसा ग्रह है जो मनुष्य को उसके कर्मों के आधार पर फल प्रदान करता है. इसीलिए इसे कर्मफलदाता, दंडाधिकारी भी कहा जाता है. वहीं राहु के बारे में ऐसा माना जाता है कि ये जीवन में अचानक होने वाली घटना का कारक है.


शनि की प्रिय राशियां
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि मकर और कुंभ राशि के स्वामी हैं. वहीं तुला राशि में शनि उच्च के माने गए हैं जबकि मेष राशि शनि की नीच राशि है. तुला, मकर और कुंभ राशि शनि की प्रिय राशियां मानी गई हैं. यहा पर बैठे शनि अशुभ फल प्रदान नहीं करते हैं.


राहु ग्रह का स्वामी कौन है?
राहु को किसी भी राशि का स्वामी नहीं माना गया है, लेकिन माना जाता है कि मिथुन राशि में राहु उच्च का हो जाता है. इसके साथ ही जब राहु धनु राशि में आता है तो ये नीच का माना जाता है. राहु को आद्रा, स्वाति और शतभिषा नक्षत्र का स्वामी माना गया है.


शनि राहु की युति
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि और राहु की युति से धूर्त योग का निर्माण होता है. इस योग को मांदी योग भी बताया गया है. माना जाता है कि जिस व्यक्ति की कुंडली में ये योग होता है वो अपने राज को छिपाकर रखता है. ऐसे लोग क्या करते हैं कोई नहीं जान पाता है. ऐसे लोग आपार धन कमाते हैं. ऐसे लोग बेहद शार्प माइंड होते हैं. अपने मकसद में सफलता पाने के लिए ये कुछ करने को तैयार रहते हैं. ये गलत कामों से भी धन कमाते हैं. इस योग की अशुभता से बचने के लिए भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए. इससे दोष दूर होता है.


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