Rudraksha Rules: भारतीय संस्कृति में रुद्राक्ष का बहुत महत्तव होता है. धार्मिक दृष्टि के अलावा सेहत के लिहाज से भी रुद्राक्ष धारण करना बहुत फायदेमंद होता है. कुछ लोग रुद्राक्ष की माला से जाप करते हैं तो कुछ लोग रुद्राक्ष की माला और अंगूठी धारण करते हैं. रूद्राक्ष एक पेड़ का फल है, जिसके सूखने पर आम तौर पर पांच मुखी रुद्राक्ष निकलता है. रुद्राक्ष एक मुखी से लेकर इक्कीस मुखी तक रुद्राक्ष पाए जाते हैं.


रुद्राक्ष धारण करने से आध्यात्मिक, मानसिक और शारीरिक तीनों तरह के फायदे होते हैं. रुद्राक्ष शंकर भगवान को बेहद प्रिय है. माना जाता है कि जो लोग रुद्राक्ष धारण करते हैं, उन पर साक्षात भगवान शिव की विशेष कृपा रहती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, रुद्राक्ष की उत्पत्ति स्वयं भगवान शिव के आंसुओं से हुई है. रुद्राक्ष शनि के प्रकोप से भी बचाता है. मान्यताओं के अनुसार हनुमान और शंकर भगवान की भक्ति करने वालों को शनि देव परेशान नहीं करते हैं. 



शनि दोष शांत करता है रुद्राक्ष


शास्त्रों के अनुसार रुद्राक्ष शनि दोष को शांत करता है. हालांकि शनि की पीड़ा से छुटकारा पाने के लिए रुद्राक्ष का बहुत नियम से इस्तेमाल करना चाहिए. शनि की बाधाओं से छुटकारा पाने के लिए अलग-अलग प्रकार के रुद्राक्ष धारण करना शुभ होता है. शनि के लिए सात मुखी या फिर चौदह मुखी रुद्राक्ष धारण करना ज्यादा लाभदायक रहता है.


अगर आपकी नौकरी-रोजगार में समस्या आ रही हो तो दस मुखी रुद्राक्ष धारण करना शुभ है. एक साथ 3 दस मुखी रुद्राक्ष धारण करना भी लाभदायक माना जाता है. इसे शनिवार के दिन लाल धागे में परोकर गले में धारण करें. कुंडली में शनि दोष है तो इससे बचने के लिए एक मुखी और ग्यारह मुखी रुद्राक् कोष एक साथ धारण करना चाहिए. 


शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या से मुक्ति पाने के लिए पांच मुखी रुद्राक्ष की माला धारण करना अच्छा होता है. जो लोग मांसहार का सेवन करते हैं उन लोगों के रुद्राक्ष नहीं पहनना चाहिए. रुद्राक्ष धारण करने से पहले धूम्रपान और मांसाहार भोजन से दूरी बनाकर आचरण को स्वच्छ करना चाहिए.


रुद्राक्ष की माला धारण करने से पहले इस पर शनि और शिव जी के मंत्रों का जाप करना बहुत शुभ होता है. इसे धारण करने से हर तरह के संकटों का नाश होता है और ग्रहों की अशुभता से मुक्ति मिल जाती है. रुद्राक्ष पहनने से सभी चिंताएं दूर हो जाती हैं और तनाव भी नहीं होता है.


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