28 और 29 मार्च को होली पर्व है. यह सतयुग से मनाया जा रहा है. अर्थात् दिवाली से बहुत पहले से होली मनाई जाती रही है. इसे सभी वर्ग के लोग धूमधाम से मनाते हैं. इस दिन सब समान नजर आते हैं. एक दूसरे से प्रेम और स्नेह का प्रदर्शन करते हैं. शनिदेव जनता के कारक ग्रह होने के कारण होली पर्व से अत्यधिक सकारात्मकता पाते हैं. इस बार वे अपनी ही राशि मकर में गुरु के साथ संचरण कर रहे हैं. ऐसे अपनों से बडे़, आदरणीय और गुरुजनों को होली पर नमस्कार करना न भूलंें. उनसे सम्मानित ढंग से फाग भी खेलें. इससे शनि प्रसन्न होंगे. गुरु ग्रह का लाभ प्राप्त होगा.
फाल्गुन पूर्णिमा को होलिका दहन किया जाता है. इस दिन शनिदेव की कृपा से भक्त प्रहलाद को न्याय मिला. होलिका को शनि की कुपित से दृष्टि से दंड मिला. शनिदेव आस्था और विश्वास से प्रसन्न होते हैं. जो लोग छल बल का प्रदर्शन करते हैं शनि उन्हें दंडित करते हैं. होलिका दहन के दौरान संकल्प लें कि छलबल के प्रयोग से मासूम जनों को कष्ट नहीं दिया जाए. इसके विपरीत यथासंभव कोशिश हो कि भोले मासूम जनों का मार्ग निश्कंटक किया जाए.
शनि रंगों के प्रति संवेदनशील ग्रह हैं। उनके प्रिय रंग और श्याम में सभी रंग समाहित हो जाते हैं. शनि की कृपा से व्यक्ति रंगो के प्रति न सिर्फ संवेदनशील दृष्टि रखता है बल्कि वह वह सब भी देख पाता है जो औरों को नहीं दिखाई देता है. शनि की प्रबलता के लिए थोड़ी देर के लिए ही सही होलिका दहन को श्रद्धाभाव से एकाग्रता से देखना चाहिए. पिछली होली से अब तक जन्में बच्चों को भी होलिका दहन के दर्शन कराना शुभ माना जाता है.