Shardiya navratri 2023: नवरात्रि के नौ दिनों में मां के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है. इन नौ दिनों में मां को प्रसन्न करने के तरह-तरह के उपाय किए जाते हैं. नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना की जाती है. कलश स्थापना के साथ नौ दिनों तक श्री दुर्गा सप्तशती (Durga Saptashati) का पाठ करना अति उत्तम माना जाता है. दुर्गा सप्तशती में 13 अध्याय और 700 श्लोक हैं. इनके पाठ कर मां दुर्गा की आराधना की जाती है. 


दुर्गा सप्तशती के लाभ


दुर्गा सप्तशती के 13 अध्यायों में मां दुर्गा के तीन चरित्रों के बारे में बताया गया है. इन्हें प्रथम, मध्यम और उत्तम के नाम से जाना जाता है. दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है. मान्यता है कि इसके पाठ से माता रानी प्रसन्न होती हैं और व्यक्ति की हर मनोकामना पूरी करती हैं. दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से व्यक्ति को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष चारों पुरुषार्थों की प्राप्ति होती है. दुर्गा सप्तशती शक्ति का प्रतीक है. इसके द्वारा व्यक्ति को शक्ति और ऊर्जा प्राप्त होती है. दुर्गा सप्तशती पाठ करने के भी कुछ खास नियम होते हैं. 


दुर्गा सप्तशती के पाठ में रखें इन बातों का ध्यान


शास्त्रों के अनुसार नवरात्रि के दिनों में दुर्गा सप्तशती का पाठ जरूर करना चाहिए. इसका पाठ उन लोगों को जरूर करना चाहिए जिसने अपने घर में कलश स्थापिता किया है. श्री दुर्गा सप्तशती की पुस्तक को कभी भी हाथ में लेकर नहीं पढ़ना चाहिए. इसके लिए सबसे पहले एक साफ चौकी पर लाल कपड़ा बिछा लें. अब इस पर दुर्गा सप्तशती पुस्तक रखें.  कुमकुम, चावल और फूल से इसकी पूजा करने के बाद ही इस पाठ का आरंभ करना चाहिए.


पाठ शुरू करने से पहले और खत्म करने के बाद हर बार इसके नर्वाण मंत्र 'ओं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे' का जाप जरूर करना चाहिए. इस मंत्र के जाप के बाद ही यह पाठ पूर्ण माना जाता है. दुर्गा सप्तशती का पाठ करते समय एक बात ध्यान रखना चाहिए. इस समय तन और मन दोनों को ही पूरी तरह साफ रखना चाहिए. स्नान करने के बाद साफ वस्त्र धारण करें. इसके बाद ही दुर्गा सप्तशती का पाठ शुरू करें. दुर्गा सप्तशती का पाठ करते समय इसके हर एक का शब्द का बिल्कुल स्पष्ट उच्चारण करना जरूरी है. यह पाठ धीमी आवाज में करना चाहिए. 


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