Shattila Ekadashi Vrat: इस साल 18 जनवरी को षटतिला एकादशी का व्रत रखा जाएगा. षटतिला एकादशी के पूरे विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. इस दिन पूजा-पाठ में तिल का विशेष महत्व होता है. इस दिन तिल का इस्तेमाल 6 तरीकों से किया जाता है. जैसे तिल से स्नान करना, इसका उबटन लगाना, तिल से हवन और तर्पण करना, भोजन में तिल का इस्तेमाल करना और तिल का दान करना. इस दिन तिल का 6 तरीके से प्रयोग किए जाने पर ही इस दिन को षटतिला एकादशी कहा जाता है. षटतिला एकादशी के दिन दो रंग की चीजों का दान करना बहुत शुभ माना गया है. इनके दान से भगवान विष्णु की कृपा होती हैं. आइए जानते हैं इन चीजों के बारे में.


षटतिला एकादशी पर इन रंग की चीजों का करें दान


षटतिला एकादशी का दिन भगवान विष्णु को समर्पित है. भगवान विष्णु को पीला रंग पसंद है. इसलिए इस दिन भगवान विष्णु को पीले रंग का फूल चढ़ाना चाहिए. उन्हें पीले रंग के वस्त्र अर्पित करें और पीली मिठाई का भोग लगाएं. पूजा के बाद ये चीजें किसी ब्राम्हण या किसी जरूरतमंद को दान कर दें. इस दिन काली तिल का दान भी बहुत शुभ माना जाता है. षटतिला एकादशी के दिन काले तिल का दान करने से भगवान विष्णु की कृपा होती है और पापों से मुक्ति मिल जाती है. षटतिला एकादशी के दिन काले तिल और पीली चीजों का दान जरूर करें.


षटतिला एकादशी की पूजन विधि और महत्व


षटतिला एकादशी के दिन सुबह स्नान करने के बाद भगवान विष्णु की पूजा करें और उन्हें पुष्प, धूप अर्पित कर व्रत का संकल्प लें. इस दिन पूरे दिन भगवान विष्णु की आराधना करें और रात्रि में जागरण और हवन करें. अगले दिन द्वादशी पर प्रात:काल उठकर स्नान करें और भगवान विष्णु को भोग लगाएं. पंडितों को भोजन कराने के बाद स्वयं अन्न ग्रहण करें. मान्यताओं के अनुसार षटतिला एकादशी व्रत रखने से व्यक्ति को धन, ऐश्वर्य और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है और जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति मिलती है.


ये भी पढ़ें


रावण की बेटी कौन थी, जिसे हो गया हनुमानजी से प्रेम, नल-नील से क्‍या था संबंध?


Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.