Pitru Paksha 2021: जन्म कुंडली में मौजूद पितृ दोष व्यक्ति की सफलता में बनता है बाधक, नहीं मिलता है सम्मान, सेहत और धन की होती है हानि
Pitru Paksha 2021: पितृ पक्ष 20 सितंबर 2021 से आरंभ हो रहा है. पितृ पक्ष में पितृ दोष की पूजा और उपाय को उत्तम माना गया है. पितृ दोष कैसे बनता है और क्या है इसका उपाय, जानते हैं.
Pitru Paksha 2021: पंचांग के अनुसार 20 सितंबर, सोमवार को भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि है. इस तिथि से पितृ पक्ष आरंभ हो रहा है. पितृ पक्ष, पितरों का समर्पित है. पितृ पक्ष में पितरों के प्रति आदर और आभार व्यक्त किया जाता है. उनके प्रति श्रद्धा भाव रखकर उनके योगदानों के प्रति धन्यवाद व्यक्त किया जाता है. पौराणिक मान्यता के अनुसार पितृ पक्ष में पितृ धरती पर आते हैं. पितृ पक्ष में पितृ दोष की पूजा को उत्तम माना गया है. ज्योतिष शास्त्र में पितृ दोष को अशुभ माना गया है.
पितृ दोष क्या है?
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जिस व्यक्ति की जन्म कुंडली में पितृ दोष बनता है, उसका जीवन संकट और परेशानियों से भरा रहता है. ऐसे व्यक्ति को हर चीज यहां तक की प्रत्येक छोटी-छोटी चीजों को पाने के लिए भी कठिन परिश्रम करना पड़ता है. ऐसे लोग रोग आदि से परेशान रहते हैं. हमेशा अज्ञात भय सताता रहता है. ऐसे लोगों के प्रतिद्वंदी और शत्रु भी अधिक होते हैं, जो इनके हर कार्य में बाधा और परेशानी प्रदान करते हैं.
पितृ दोष, राहु और केतु से बनता है
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जन्म कुंडली में जब नवम भाव में राहु या केतु विराजमान हो जाएं तो व्यक्ति पितृ दोष से पीड़ित माना जाता है. पितृ दोष की स्थिति को इस लक्षणों के आधार पर भी समझा जा सकता है. पितृ दोष की स्थिति में कुंडली में होने पर घर में विवाद की स्थिति बनी रहती है. घर के बड़ों का सम्मान धीरे धीरे कम होने लगता है. घर के मुखिया को अपमान सहना पड़ता है. कलह और तनाव की स्थिति बनी रहती है. घर में प्रवेश करते हैं मन खराब होने लगता है. दांपत्य जीवन में मधुरता नहीं रहती है और निरंतर हानि बनी रहती है. जमा पूंजी नष्ट हो जाती. व्यक्ति कर्ज में डूब जाता है. बुरी संगत में पड़ जाता है.
पितृ पक्ष में करें पितृ दोष का उपाय
20 सितंबर 2021 से पितृ पक्ष का आरंभ हो रहा है. पितृ दोष का उपाय पितृ पक्ष में करना अच्छा माना गया है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पितृ पक्ष में पितरों का श्राद्ध देना चाहिए. पितरों को याद करना चाहिए. पूजा करते समय पितरों का स्मरण करें जीवन में होने वाली गलतियों के लिए माफी मांगे. कुत्ता, मछली और कौओं को भोजन दें. गाय को रोटी दें. इसके साथ ही अमावस्या की तिथि को पीपल के वृक्ष को जनेऊ अर्पित करें.