Lakshmi Puja, Friday Upay: शुक्रवार का दिन माता लक्ष्मी का दिन माना जाता है. मान्यताओं के मुताबिक इस दिन कुछ खास उपायों से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और धन-धान्य का आशीर्वाद देती हैं. माता की अखंड कृपा से सभी कार्य सफलता पूर्वक सम्पन्न होते हैं साथ ही पद-प्रतिष्ठा में भी वृद्धि होती है. हिंदू धर्म में लक्ष्मी जी की विशेष महिमा का वर्णन किया गया है.


ज्योतिष शास्त्र (Astrology) के अनुसार अगर आप किसी तरह की आर्थिक समस्या से जूझ रहे हैं या फिर पैसों की समस्या बनी हुई है, तो शुक्रवार के दिन ये उपाय आपको लाभ पहुंचा सकता है. ज्योतिष शास्त्र में शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी के महालक्ष्मी स्त्रोत (Maha Lakshmi Stotram) के विशेष लाभ के बारे में बताया गया है. शुक्रवार इसका पाठ करना बहुत फलदायी माना जाता है.  


शास्त्रों में महालक्ष्मी स्त्रोत की असीम महिमा बताई गई है. इसके अनुसार जो व्यक्ति दिन में एक बार भी महालक्ष्मी स्त्रोत का पाठ करता है, उसे सभी पापों से मुक्ति मिलती है. वहीं, जो व्यक्ति इस महालक्ष्मी स्त्रोत का दो बार पाठ करते हैं, उन्हें धन-धान्य की प्राप्ति होती है. इसके अलावा, तीन बार इस स्त्रोत का पाठ करने से महालक्ष्मी हमेशा प्रसन्न होती हैं. 


मां लक्ष्‍मी के नाम (Lakshmi Ji Names in Hindi)


1.ॐ अमृतलक्ष्म्यै नम:


2. ऊं योगलक्ष्यैं नम:


3. ॐ सौभाग्यलक्ष्म्यै नम:


4.ॐ भोगलक्ष्म्यै नम:


5. ॐ आद्यलक्ष्म्यै नम:


6. ॐ सत्यलक्ष्म्यै नम:


7. ॐ कामलक्ष्म्यै नम:


8-ॐ विद्यालक्ष्म्यै नम:


महालक्ष्मी स्तोत्र (Mahalaxmi Stotra)


नमस्तेऽस्तु महामाये श्रीपीठे सुरपूजिते।
शंखचक्रगदाहस्ते महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।
नमस्ते गरुडारूढे कोलासुरभयंकरि।
सर्वपापहरे देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।
सर्वज्ञे सर्ववरदे देवी सर्वदुष्टभयंकरि।
सर्वदु:खहरे देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।
सिद्धिबुद्धिप्रदे देवि भुक्तिमुक्तिप्रदायिनि।
मन्त्रपूते सदा देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।
आद्यन्तरहिते देवि आद्यशक्तिमहेश्वरि।
योगजे योगसम्भूते महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।
स्थूलसूक्ष्ममहारौद्रे महाशक्तिमहोदरे।
महापापहरे देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।
पद्मासनस्थिते देवि परब्रह्मस्वरूपिणी।
परमेशि जगन्मातर्महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।
श्वेताम्बरधरे देवि नानालंकारभूषिते।
जगत्स्थिते जगन्मातर्महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।
महालक्ष्म्यष्टकं स्तोत्रं य: पठेद्भक्तिमान्नर:।
सर्वसिद्धिमवाप्नोति राज्यं प्राप्नोति सर्वदा।।
एककाले पठेन्नित्यं महापापविनाशनम्।
द्विकालं य: पठेन्नित्यं धन्यधान्यसमन्वित:।।
त्रिकालं य: पठेन्नित्यं महाशत्रुविनाशनम्।
महालक्ष्मीर्भवेन्नित्यं प्रसन्ना वरदा शुभा।।


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