Radha Krishna: कृष्ण को पहली बार देखते ही जब राधा हो गईं बेसुध, कैसे और कब हुआ उन्हें कान्हा से प्रेम, जानें
Radha Krishna Love Story: राधा और श्रीकृष्ण का प्रेम अमर है. दोनों एक-दूसरे के बगैर अधूरे माने जाते हैं. राधा-कृष्ण के प्रेम के संबंध कई पौराणिक कहानियां प्रचलित हैं.
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Radha Krishna Love Story: 14 फरवरी को वैलेंटाइन डे मनाया जाता है. ये दिन प्रेम को समर्पित होता है. जब भी किसी प्रेम कहानी की बात होती है तो सबसे पहले राधा-कृष्ण का ही नाम आता है. भले ही ही राधा और कृष्ण का विवाह नहीं हुआ था लेकिन दोनों का प्रेम नि:स्वार्थ और आत्मिक था. राधा और श्रीकृष्ण का प्रेम अमर है. राधा-कृष्ण के प्रेम के संबंध कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं. आइए जानते हैं राधा- कृष्ण की कुछ ऐसी ही अनसुनी प्रेम कथाओं के बारे में.
कृष्ण को देखते ही बेसुध हो गईं थी राधा
एक पौराणिक कथा के अनुसार राधा श्रीकृष्ण से लगभग पांच वर्ष बड़ी थीं. उन्होंने पहली बार श्रीकृष्ण को तब देखा जब उनकी मां यशोदा ने उन्हें ओखल से बांध दिया था. कहा जाता है कि कृष्ण को पहली बार देखते ही राधा बेसुध सी हो गई थीं और उन्हें प्रेम हो गया था. कृष्ण को देखते ही राधा को ऐसा आभास हुआ जैसा कि कृष्ण के साथ उनका पूर्व जन्म का रिश्ता हो.
वहीं कुछ विद्वानों का कहना है कि राधा पहली बार गोकुल अपने पिता के साथ आई थीं. तब उन्होंने पहली बार श्रीकृष्ण को देखा था. जिस जगह पर पहली बार दोनों की मुलाकात हुई थी उसे संकेत तीर्थ कहा जाता है. जैसे राधा कृष्ण को देखते ही अपनी सुधबुध खो बैठी थीं, ठीक वैसे ही कृष्ण भी राधा को देखकर बावरे हो गए थे. दोनों में पहली नजर में ही प्रेम हो गया था.
श्री कृष्ण को बेहद प्रिय थीं ये दो चीजें
कहते हैं कि उस वक्त श्रीकृष्ण को 2 ही चीजें सबसे ज्यादा प्रिय थीं, एक बांसुरी और दूसरी राधा. राधा कहीं भी हों कृष्ण की बांसुरी की धुन सुनकर बरबस खिंची चली आती थीं. जब कृष्ण राधा को छोड़कर मथुरा जाने लगे थे तो उन्होंने राधाो को अपनी सबसे प्रिय मुरली भेंट की थी. राधा ने भी इस मुरली को वर्षों तक संभालकर रखा था. जब भी उन्हें श्रीकृष्ण की याद आती तो वह यह मुरली बजाती थीं.
वहीं श्रीकृष्ण राधा की याद में मोरपंख लगाते थे और वैजयंती माला पहनते थे. पौराणिक कथाओं के अनुसार श्रीकृष्ण को मोरपंख तब मिला था जब वो एक बार राधा के साथ उपवन में नृत्य कर रहे थे. उन्होंने इस मोर के पंख को उठाकर अपने सिर पर धारण कर लिया और राधा ने नृत्य करने से पहले श्रीकृष्ण को वैजयंती माला पहनाई. भगवान कृष्ण के बिना राधा अधूरी मानी जाती हैं और राधा के बिना कृष्ण अधूरे माने जाते हैं.
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