Summer Season 2023 Panchang, Date, Time and Importance in India: भारत ऋतुओं का देश है. क्योंकि अधिकांश देशों में जहां एक वर्ष में चार ऋतुएं होती हैं. वहीं भारत में एक वर्ष में कुल छह ऋतुएं होती हैं. वेद विज्ञान के अनुसार, हिंदी पंचांग के एक संवत्सर में भारत में ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमंत, शिशिर और वसंत कुल छह तरह की ऋतुएं होती हैं. सभी ऋतुएं दो-दो महीने की होती है. सूर्य के सायन राशि में प्रवेश और स्थिति के अनुसार ऋतुओं का निर्धारण होता है. पंचांग के अनुसार वैशाख और ज्येष्ठ महीने को ग्रीष्म ऋतु कहा जाता है. यह ऋतु गर्म और तपन के लिए जानी जाती है. इस दौरान दिन लंबी और रातें छोटी होती हैं.
पंचांग के अनुसार ग्रीष्म ऋतु का आरंभ और समाप्ति
भारतीय ग्रीष्म ऋतु का आरंभ गुरुवार 20 अप्रैल 2022 को दोपहर 01:42 पर हो रहा है. इस दिन वैशाख अमावस्या है. साथ ही इसी दिन साल का पहला सूर्य ग्रहण भी लग रहा है. वहीं ग्रीष्म ऋतु की समाप्ति बुधवार 21 जून 2023 को रात 08:26 पर होगी. ग्रीष्म ऋतु ग्रीष्म अयनकाल के साथ समाप्त होती है.
सूर्य के सायन राशि से ऋतु का निर्धारण
सूर्य हर महीने राशि परिवर्तन करते हैं. सूर्य की गति प्रकार से होती है जिसे निरयन और सायन कहा जाता है. सूर्य का एक महीने में एक राशि में गोचर समय पूरा होता है. दो राशियों में सूर्य की स्थिति से एक ऋतु का निर्धारण होता है. इस तरह से 20 अप्रैल से 21 जून के दौरान वृषभ और मिथुन राशि में ग्रीष्म ऋतु होगी. खगोल विज्ञान के अनुसार भी सूर्य की राशि के अनुसार ऋतुएं तय होती है.
गीष्मकाल का पुर्वानुमान
भारतीय ग्रीष्म ऋतु 2023 के पूर्वानुमान के अनुसार, 20 अप्रैल को वैशाख अमावस्या के दिन सूर्य ग्रहण लगेगा. हालांकि यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा. लेकिन ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति का प्रभाव भारत और सभी राशियों पर जरूर पड़ेगा. मेष राशि में सूर्य, बुध, राहु और चंद्रमा की युति से देश के पूर्वी हिस्सों पर इसका प्रभाव पड़ेगा और उष्णकटिबंधीय चक्रवात की आशंका है. वहीं 20 अप्रैल को वैशाख अमावास्या के दिन राहु के साथ सूर्य, बुध और चंद्रमा की युति से भारत में संक्रमण फैलाने वाले रोगों में तेजी आ सकती है.
28 अप्रैल के बाद जब सूर्य का भरणी नक्षत्र में प्रवेश होगा तब यहां बुध पहले से गोचर कर रहे होंगे. इससे भारत के मध्य भागों में तापमान में तेजी आएगी. उत्तर भारतीय राज्यों में लगातार तापमान बढ़ेंगे. लेकिन 15 मई को सूर्य वृषभ राशि में गोचर करेंगे. बुध, गुरु और राहु का मेष राशि में गोचर होगा. इससे भारतीय दक्षिण राज्यों में वर्षा हो सकती है. कुल मिलाकर कहा जाए तो भारत में अप्रैल से जून 2023 के महीने में ग्रीष्ण ऋतु में लू और तपन के साथ ही देश के अधिकांश हिस्सों में अच्छी बारिश भी होने के संकेत हैं.
ग्रीष्म ऋतु का महत्व
भारत की सभी छह ऋतुओं में प्रकृति की निराली और विशेष छठा होती है. इसलिए सभी ऋतुओं का अपना विशेष महत्व भी होता है. बात करें गीष्म ऋतु (गर्मी के मौसम) की तो ग्रीष्म ऋतु की शुरुआत होते ही वसंत की बहार, कोमलता और मादकता विलुप्त होने लगती है. पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ-आषाढ़ महीना ग्रीष्म ऋतु का होता है. इस ऋतु में गर्म ताप तेजी से बढ़ने लगता है. लेकिन इसी के साथ ग्रीष्म ऋतु से हमें कष्ट सहने की शक्ति भी मिलती है. यह ऋतु हमें प्रेरणा देता है कि, जिस तरह प्रचंड गर्मी के बाद शीतल वर्षा का आगमन होता है. उसी तरह जीवन के कष्ट और दुख भी सदा के लिए नहीं रहते बल्कि कुछ समय बाद दूर हो जाते हैं. ग्रीष्म ऋतु में प्रंचड ताप के बावजूद भी इस महीने सैकड़ों तरह के फूल खिलते हैं, बागों में आम, लीची, बेल, तरबूज, और कटहल लगते हैं. कोयलों की मधुर बोली सुनने को मिलती है. इन सभी बातों से यह सीख मिलती है कि, जीवन का हर क्षण और हर ऋतु आनंदमय है.
ग्रीष्म ऋतु पर बिहारी के दोहे कुछ प्रकार हैं-
बैठि रही अति सहन बन, पैठि सदन तन माँह,
देखि दुपहरी जेठ की, छाअहौ चाहति छाँह ।
इस दोहे में ग्रीष्म ऋतु का वर्णन करते हुए बिहारी कहते हैं, ज्येष्ठ माह की गर्मी में इतनी ताप होती है कि छाया भी छांव ढूंढने लगती है. इस गर्मी में छाया भी कहीं नहीं दिखती. क्योंकि वह घने जंगलों में होती है या किसी घर के भीतर.
कहलाने एकत बसत, अहि मयूर मृग-बाघ।
जगत तपोवन सौ कियो, दीरघ दाघ निदाघ।
इस दोहे में बिहारी कहते हैं कि ग्रीष्म काल की दोपहरी में जंगली जानवर मोर, सांप, हिरण और बाघ आदि भी एक ही स्थान पर बैठे रहते हैं. ऐसे में लगता है कि गर्मी में जंगल किसी तपोवन की तरह हो गया. ऐसा तपोवन जिसमें सभी जानवर आपसी द्वेषों को भुलाकर एक साथ बैठे रहते हैं.
बरसा रहा है, रवि अनल भूतल तवा-सा जल रहा।
है चल रहा सन-सन पवन, तन से पसीना ढल रहा॥
ग्रीष्म ऋतु में दिन लंबी और रातें छोटी होती हैं. दोपहर में भोजन के बाद तनिक आराम करने की तबियत होती है. पक्की सड़कों का तारकोल पिघल जाता है और सड़कें किसी गर्म तवे के समान तपती है.
ग्रीष्म ऋतु पर्व-त्योहार (20 अप्रैल-21 जून 2023)
- अप्रैल 2023 पर्व-त्योहार
20 अप्रैल- वैशाख अमावस्या, सूर्य ग्रहण
22 अप्रैल- ईद-उल-फितर, अक्षय तृतीया, परशुराम जयंती
23 अप्रैल- वियानक चतुर्थी व्रत, शंकराचार्य जयंती
27 अप्रैल- गंगा सप्तमी
28 अप्रैल- मां बंगलामुखी जयंती
29 अप्रैल- सीता नवमी - मई 2023 पर्व-त्योहार
1 मई- मोहिनी एकादशी
3 मई- शुक्ल बुधवार प्रदोष व्रत
5 मई- वैशाख पूर्णिमा व्रत
8 मई- संकष्टी चतुर्थी
15 मई - अपरा एकादशी, वृषभ संक्रांति
17 मई- मासिक शिवरात्रि, कृष्णपक्ष प्रदोष व्रत
19 मई- ज्येष्ठ अमावस्या
31 मई - निर्जला एकादशी - जून 2023 पर्व-त्योहार
1 जून- शुक्ल प्रदोष व्रत
4 जून- ज्येष्ठ पूर्णिमा
7 जून- संकष्टी चतुर्थी
14 जून- योगिनी एकादशी
15 जून- मिथुन संक्रांति, कृष्ण प्रदोष व्रत
16 जून- मासिक शिवरात्रि
18 जून- आषाढ़ अमावस्या
20 जून- जगन्नाथ रथ यात्रा
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