(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
सुनो गौर से दुनिया वालों बुरी नज़र ना हमपे डालो, सबसे आगे होंगे हिंदुस्तानी
Independence Day 2024: भारत (India) की कुंडली में क्या है खास और क्या वाकई में भारत बन पाएगा महाशक्ति? जानते हैं भारत को महाशक्ति बनाने में सूर्य (Sun), राहु (Rahu) और शनि (Shani) की कैसी है भूमिका.
Independence Day 2024: ग्रहों का खेल और विपरीत राज योग, आज नहीं तो कल भारत महाशक्ति बनकर रहेगा. फिर ये कहना गलत न होगा कि सबसे आगे होंगे हिंदुस्तानी.
भारतवर्ष की वर्तमान में बहुत उन्नत परिस्थितियां है. लगभग 200 वर्षों से अधिक समय तक गुलामी का बुरा समय झेलने के बाद भारत एक बड़ी शक्ति बनने की ओर अग्रसर है. भारत समय के साथ निरंतर विकास करता जा रहा है. कुंडली (Kndli) के माध्यम से जानेंगे और देखेंगे कि भारत (India) कैसे एक महाशक्ति के रूप में उभरा है.
भारतवर्ष की कुंडली (India Kundli) 15 अगस्त 1947 को 12:00 बजे दिल्ली (New Delhi) के स्थान पर बनती है, जिसमें लग्न स्थान में राहु द्वितीय भाव में मंगल तृतीय भाव में शुक्र और शनि अवस्था में चंद्रमा सूर्य और बुध भी हैं. सिस्टम भाव में बृहस्पति तथा सत्ता सप्तम भाव में केतु (Ketu) है.
विपरीत राजयोग (Vipreet Raja Yoga)
भारत (Bharat) की कुंडली विशेष विपरीत राजयोग जोकि विपरीत परिस्थितियों में भारत को और अधिक निखार देता है. ज्योतिष सूत्रों के अनुसार जब त्रिक भावों के स्वामी अर्थात 6, 8, 12 भागों के स्वामी त्रिक भावों में हो तो विपरीत राजयोग बनता है.
भारतवर्ष की कुंडली में अष्टम भाव का स्वामी बृहस्पति छठे भाव में विराजमान होकर विपरीत राजयोग (Rajyog) बना रहा है, विपरीत राजयोग का फल सकारात्मक होता है. लेकिन उस फल को मिलने से पहले अनेक कठिनाइयां और बधाओं का सामना करना पड़ता है. हमेशा विपरीत परिस्थिति आने के बाद लाभ मिलता है.
इस योग के कारण भारत (India) की एक नीति यह रही है कि भारत किसी भी देश पर पहले आक्रमण नहीं करता है और जब कोई अन्य देश भारत के साथ विवाद आदि मूल लेता है तो उसमें भारत का अधिक लाभ हो जाता है.
इसका उदाहरण पाकिस्तान (Pakistan) का भारत से युद्ध शुरू करना है. पाकिस्तान (Pak) ने हमेशा ही भारत के साथ युद्ध की शुरुआत की और अंत में भारत ही विजय हुआ. यह विपरीत राजयोग का शुभ फल है, जिसके कारण जब भी भारत पर किसी ने आक्रमण किया तो उसमें भारत का लाभ हुआ.
भारत कैसे बनेगा महाशक्ति (How will India Become a Superpower?)-
शनि (Shani Dev)
ज्योतिष सूत्रों के अनुसार जिस भाव में भाग्य का स्वामी बैठा हो, उस भाव से संबंधित चीजों के द्वारा भाग्य चमकता है. भारत की कुंडली में भाग्य भाव का स्वामी शनि है जो कि तृतीय भाव में बैठा है.
तृतीय भाव कड़ी मेहनत का होता है. शनि की विशेषता यह है की धीमी गति से फल देता है और एक बार जो फल दे दिया उसे कभी वापस नहीं लेता है.
इस सूत्र को देखते हुए कहा जा सकता है कि भारत को महाशक्ति बनने में स्वयं की मेहनत का ही सहारा मिलेगा और शनि की धीमी गति के कारण मेहनत बहुत लंबे समय तक चलेगी और एक बार जो सफलता भारत को मिल गई वह सफलता भारत से छीन पाना असंभव हो जाएगा.
सूर्य (Surya)
ज्योतिष में सूर्य (Sun) को बहुत ही तेजस्वी ग्रह कहा गया है पूरा सौरमंडल (Solar System) सूर्य के कारण ही प्रकाशमान है. ज्योतिष (Jyotish) में तृतीय भाव में बैठे हुए सूर्य को बहुत शुभ कहा है.
भारत की कुंडली में चतुर्थ भाव का स्वामी सूर्य तृतीय भाव में है. यह अपने आप में ही एक शुभ योग है लेकिन इस योग में शुभ फल प्राप्ति कुछ कठिनाई से है, क्योंकि सूर्य जल तत्व की राशि में है.
अब इसे इस उदाहरण से समझिए कि गर्म सुर्ख लोहे को पानी में डूबा दिया गया है जिस कारण लोहे का तापमान ठंडा हो जाएगा और जो कार्य गर्म लोहे के साथ किया जा सकता था वह आसानी से नहीं हो पाएगा.
इसी प्रकार सूर्य के जो शुभ फल हैं जिनमें भारतवासियों (Indians) की मेहनत सबसे अधिक महत्व रखती है, उस मेहनत को रंग लाने में वक्त लगेगा.
कौन से बिंदु भारत को महाशक्ति बनने में रुकावट डालते हैं?
प्रत्येक कुंडली में अच्छे बुरे दोनों प्रकार के बिंदु होते हैं, जिस कारण कामयाबी और नाकामी का स्तर निर्धारित होता है. हम भारतवर्ष की कुंडली देखते हैं तो उसमें भी कुछ नकारात्मक बिंदु है जो भारत को महाशक्ति बनने में बाधा डालते हैं.
राहु (Rahu)-
राहु भारतवर्ष की कुंडली में लग्न स्थान पर मित्र शुक्र की राशि में विराजमान हैं. वैसे तो राहु को अति चतुर और कुटिल ग्रह कहा गया है, लेकिन कभी-कभी लग्न का राहु भ्रमित करने वाली परिस्थितियों पैदा करता है और सही निर्णय नहीं लेने देता है. किसी भी देश की कुंडली में उसका लग्न भाव देश के संपूर्ण मंत्रिमंडल और संचालन भाग को प्रस्तुत करता है.
कुंडली के लग्न में राहु का होना क्रप्ट मंत्रिमंडल तथा अनुचित निर्णय लेने वाले लोगों के साथ में भारत के संचालन को देने की परिस्थिति बनाता है अथवा कुछ अयोग्य शाशक भी मिलते हैं. इसलिए कभी-कभी राजनीतिक दलों में कुछ भ्रष्ट लोग भारत के सही निर्णय में रुकावट डालने में अग्रणी बने रहते हैं जो भारत को महाशक्ति बनने में रुकावट का विशेष बिंदु है.
शनि का अस्त होना (Shani Ast) -
शनि को कानून व्यवस्था और दंड से संबंधित ग्रह कहा गया है. भारतवर्ष का कानून यदि हम भारत की कुंडली में मौजूद शनि की स्थिति से समझें तो पाएंगे कि शनि अस्त अवस्था में है. कोई भी ग्रह जब अस्त अवस्था में होता है, तो वह परिणाम जल्दी नहीं दे पाता और काफी कम मात्रा में शुभ परिणाम देता है.
भारत की कानून व्यवस्था शनि के अस्त होने के कारण कठोर नहीं है. यह एक लचीली कानून व्यवस्था है जिसका अनुचित लाभ भ्रष्ट लोगों के द्वारा उठा लिया जाता.
भारत में सऊदी अब या अमेरिका (US) जैसे देशों की तुलना में कम कठोर कानून है और इस कानून के कारण आम जनता को बहुत अधिक नुकसान भी है. उन्हें जल्दी न्याय नहीं मिल पाता है और बहुत अधिक समय कोर्ट कचहरी के मामलों में बर्बाद होता है.
यदि भारत की कानून व्यवस्था कठोर होती तो अपराध भी काम होते और कोर्ट कचहरी में उनका समय बर्बाद ना होकर वे अपने समय का सदुपयोग किसी विकास के कार्य में कर सकते थे.
निष्कर्ष - भारत की कुंडली में सकारात्मक और और नकारात्मक दोनों प्रकार के बिंदु हैं जिनमें सकारात्मक बिंदु अधिक है इसे हम 60% तक सकारात्मक मान सकते हैं जोकि भारत को महाशक्ति बनाएगा और विश्व में भारत का अपना एक वर्चस्व कायम रहेगा.
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