Sutak Kaal: सूर्य हो या चंद्र ग्रहण दोनों ही परिस्थितियों में ग्रहण के पहले की समय अवधि अशुभ मानी गई है, इसे ही सूतक कहा जाता है. इस दौरान कोई भी शुभ या मांगलिक काम नहीं करना चाहिए. मान्यता है कि इस सूतक काल के दौरान शुभ काम शुरू करने पर अशुभ फल मिल सकता है. इसी कारण कई ज्योतिषशास्त्रों में सूतक काल से बचने के लिए प्रभावी नियम बताए गए हैं. ग्रहण के दौरान परिवार के साथ इनका पालन कर ग्रहण का अशुभ प्रभाव खत्म किया जा सकता है. 

कैसे होती है सूतक की गणना?
ज्योतिष के अनुसार सूतक काल की गणना के लिए पहले सूर्य या चंद्र ग्रहण की तिथि के साथ समय का सटीक ज्ञान होना बेहद जरूरी है क्योंकि जब सूर्य ग्रहण के सूतक काल की गणना करते हैं तो ग्रहण से ठीक 12 घंटे पहले से उसका सूतक काल शुरू हो जाता है और ग्रहण समाप्त होने के बाद सूतक काल पूरा होता है. ठीक इसी तरह चंद्र ग्रहण का सूतक काल ग्रहण शुरू होने से ठीक नौ घंटे पहले शुरू होता है और ग्रहण खत्म होने के साथ स्वत: समाप्त हो जाता है.


क्या करें क्या नहीं?
1. ग्रहण के सूतक काल के दौरान कम से कम बोलें. भगवान की भक्ति में मन लगाएं.
2. भगवान का ध्यान कर पूजा करें, ग्रहण से मन में भटकाव से गुस्सा आ सकता है.
3. सूतक काल के दौरान ग्रहण संबंधित ग्रह की शांति पाठ करें और मंत्रों का जप करें.
4. सूतक काल के समय जितना मुमकिन हो योग और ध्यान करें. ऐसा करने से मानसिक शक्ति का विकास होगा.
5. सूतक काल में खाना न बनाएं, अगर बन चुका है तो तुलसी के पत्ते डालकर रख दें.
6. चंद्र ग्रहण के दौरान चंद्र मंत्रों का जप और सूर्यग्रहण के दौरान सूर्य मंत्रों का सपरिवार स्पष्ट उच्चारण पूर्वक जप लाभ देगा.
7. ग्रहण के समय होने वाली पूजा में मिट्टी के दीये इस्तेमाल करें. सूतक पूरा होने पर घर साफ कर दोबारा स्नान और पूजा पाठ करें.
8. ग्रहण खत्म होने के बाद घर और पूजा स्थल पर गंगाजल छिड़क कर उन्हें शुद्ध करें.
9. सूतक काल में गर्भवती महिला को घर से बाहर नहीं जाना चाहिए. ग्रहण की छाया गर्भ में पल रहे शिशु पर न पड़े.
10. शास्त्रों के अनुसार सूतक काल में दांत साफ करना या बालों में कंघी नहीं करनी चाहिए. साथ ही बीमार नहीं हैं तो सोने से बचें.
11. सूतक काल में पवित्र मूर्ति को छूना अशुभ माना गया है. काम या क्रोध जैसे नकारात्मक विचारों को मन में न आने दें.
12. कुछ जगहों पर सूतक के दौरान मल, मूत्र और शौच भी वर्जित बताए गए हैं. चाकू और कैंची जैसी नुकीली चीजों का इस्तेमाल करना भी मना है.


इस दशा में नहीं लगता है सूतक
चंद्र ग्रहण खगोलीय घटना है. सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी आ जाती तो चंद्रमा पर प्रकाश बंद हो जाता है. चंद्र ग्रहण तीन होते हैं. पूर्ण चंद्र ग्रहण, इसमें सूर्य की परिक्रमा करते हुए पृथ्वी ठीक सामने आ जाती है और पृथ्वी के आगे चंद्रमा आ जाता है. पृथ्वी सूर्य को ढक लेती है, जिस चंद्रमा तक सूर्य का प्रकाश नहीं पहुंच पाता है. दूसरी स्थिति में जब पृथ्वी चंद्रमा को आंशिक ढकती है तो आंशिक चंद्र ग्रहण कहते हैं. जब चंद्रमा पृथ्वी की परिक्रमा करते हुए पैनंब्रा से गुजरता है तब चंद्रमा पर सूर्य का प्रकाश कटा पहुंचता है. अब चंद्रमा की सतह धुंधली दिखेगी, इसे उपछाया या पेनुम्ब्रा चंद्र ग्रहण कहा गया है. चूंकि इसे ग्रहण नहीं कहा जाता है, इसलिए इसका सूतक काल मान्य भी नहीं होता है.


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