शनि साढ़े साती (Shani Sade Sati) की अवधि सात साल की होती है. जिन लोगों की कुंडली में शनि शुभ होते हैं उनके लिए साढ़े साती का समय काफी लाभकारी साबित होता है. लेकिन जिनकी कुंडली में शनि की स्थिति कमजोर होती है उन्हें इस दौरान कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है. शनि साढ़े साती के समय कार्य समय पर पूरे नहीं हो पाते और लाख कोशिशों के बाद भी सफलता नहीं मिल पाती. वर्तमान में धनु, मकर और कुंभ वालों पर शनि साढ़े साती चल रही है. जानिए इनमें से किस राशि वालों पर शनि साढ़े साती का सबसे कष्टदायी चरण चल रहा है.


शनि साढ़े साती के तीन चरण: इसके तीन चरण होते हैं. पहले चरण में शनि व्यक्ति के मस्तक पर रहता है. इस दौरान आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है. खर्च बढ़ जाते हैं. व्यक्ति को स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें आती हैं. वैवाहिक जीवन में तनाव रहते हैं। इसके दूसरे चरण में व्यक्ति को पर्सनल और प्रोफेशनल दोनों लाइफ में उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ता है. धोखा मिलने के आसार रहते हैं. शारीरिक कष्टों का सामना करना पड़ता है. किसी का सहयोग इस अवधि में नहीं मिल पाता. इसके तीसरे चरण में भौतिक सुखों का लाभ नहीं मिल पाता. वाद-विवाद के योग बनते हैं. स्वास्थ्य खराब रहता है. इन तीनों चरणों में दूसरा चरण सबसे दुखदायी माना जाता है.


इस राशि के जातक रहें संभलकर: मकर राशि वालों पर इस समय शनि साढ़े साती का सबसे कष्टदायी चरण चल रहा है. इस दौरान आपको हर काम में बेहद ही सतर्कता बरतनी होगी. आंख बंद करके किसी पर विश्वास न करें. वाहन सावधानी से चलाएं. वाद-विवादों से दूर रहें. पैसा खर्च करने की बजाय जोड़ने पर ध्यान दें. बता दें मकर वालों पर शनि साढ़े साती का ये चरण 29 अप्रैल 2022 तक रहेगा. इसलिए इस अवधि तक आपको बेहद ही सतर्क रहने की जरूरत पड़ेगी.


शनि साढ़े साती का प्रकोप कम करने के उपाय: 
-शनिवार के दिन सूर्यास्त के समय पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं और शनि देव की अराधना करें.
-प्रत्येक शनिवार शनि देव की प्रतिमा पर सरसों का तेल चढ़ाएं. हो सके तो काला कपड़ा भी चढ़ाएं.
-शनिवार के दिन हनुमान जी की अराधना करें. मान्यता है कि हनुमान जी के भक्तों को शनि देव परेशान नहीं करते। शनिवार के दिन शनि चालीसा के साथ हनुमान चालीसा का पाठ भी करें.
-शनिवार के दिन एक बर्तन में पानी लें उसमें थोड़ा गंगा जल, थोड़ी चीनी और काला तिल मिलाकर इस मिश्रण तैयार करें. फिर इस जल को पीपल की जड़ में अर्पित करें और पीपल के पेड़ की तीन बार परिक्रमा करें. मान्यता है ऐसा करने से शनि साढ़े साती के प्रकोप से बचा जा सकता है.


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