Guru purnima : कहा जाता है कि प्राचीनकाल में स्थापित गुरुकुलों में विद्यार्थी आमतौर पर मुफ्त शिक्षा ग्रहण करता था. ऐेसे में वह गुरु पूर्णिमा के दिन पूरी श्रद्धा भाव से सामर्थ्यानुसार अपने गुरु को दक्षिणा देकर पूजन करता था. इसके बाद धर्म ग्रन्थ, वेद, शास्त्र और दूसरी विद्याओं का शिक्षण शुरू होता था. गुरु से शिक्षा लेते हुए हम सभी को गुरुओं के प्रति ह्रदय से श्रद्धा रखनी चाहिए. गुरु पूर्णिमा के दिन बहुत से लोग अपने गुरु के लिए व्रत भी रखते हैं. इसके अलावा भी कुछ उपाय हैं, जिनके जरिए गुरु को प्रसन्न किया जा सकता है.
कैसे करें गुरु को प्रसन्न
-गुरु पूर्णिमा के दिन प्रातः जल्दी उठकर स्नान आदि नित्य कर्म के बाद संभव हो तो किसी पवित्र नदी में स्नान करें.
-घर में किसी साफसुथरी पवित्र जगह लकड़ी के पटरे पर सफेद वस्त्र फैलाकर पूर्व से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण बारह-बारह लाइनें खींचकर एक व्यासपीठ तैयार करें.
-इसके बाद मंत्र 'गुरुपरंपरासिद्धयर्थं व्यासपूजां करिष्ये' का जाप कर संकल्प करें और दसों दिशाओं में अक्षत छोड़ें.
-मन में ब्रह्माजी, व्यासजी, शुकदेवजी, गोविंद स्वामीजी, शंकराचार्यजी और अपने प्रिय गुरुजी के नाम मंत्र पढ़ते हुए पूजा, हवन आदि करें. इस दौरान गुरु का ध्यान अनिवार्य रूप से करें.
-गुरु पूर्णिमा के दिन वेद और धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन मनन भी शुभ माना गया है.
-इस दिन गरीब-ब्राह्मणों को दान दें, इससे भी गुरु प्रसन्न होते हैं, पुण्य लाभ मिलता है.
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